हर साल गहराता है संकट
गोपीवाला गांव की आबादी लगभग दो हजार के करीब है। यहां हर साल गर्मियों में पानी का संकट गहरा जाता है। अब जबकि गर्मी का कहर बढ़ता जा रहा है तो पेयजल संकट भी गहरा गया है। कहने को तो गांव में करीब एक दर्ज इंडिया मार्का हैंडपंप लगे हैं। लेकिन इनसे पानी नहीं निकल रहा है। भू-जल का स्तर इतनी नीचे पहुंच गया है कि लोग बूंद-बूंद पानी को मोहताज हो गए हैं।
कारगर नहीं सबमर्सिबल
जिन लोगों के घरों में सबमर्सिबल लगे हैं, वहां भी बहुत कम पानी आ रहा है। ग्रामीणों में पानी को लेकर हाहाकार मचा है। भीषण गर्मी का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ रहा, ठीक वैसे ही ग्रामीणों की ¨चता भी बढ़ती जा रही है। ग्रामीण खेतों पर लगे नलकूप से पानी लाते हैं। पेयजल का इंतजाम तो जैसे-तैसे हो रहा है पर अन्य कामों के लिए पानी का जैसे अकाल पड़ गया है।
विद्युत कटौती भी बड़ी समस्या
हैंडपंपों के हलक सूखने के बाद ग्रामीण पेयजल के लिए नलकूपों पर निर्भर हो गए हैं। गांव में बिजली आपूर्ति बेहद कम हो रही है। कभी रात में तो कभी दिन में थोड़ी-बहुत देर के लिए ही बिजली आ रही है। इसके साथ ही वोल्टेज बेहद कम आते हैं। इससे घरों में लगे सबमर्सिबल पंप और खेतों पर लगे नलकूप पानी नहीं उठा पाते हैं। बिजली आने पर पानी लेने के लिए खेतों और घरों में लगे नलकूपों पर लंबी लाइन लग जाती है। ग्राम प्रधान रईस अहमद ने बताया कि अधिकारियों को पेयजल संकट के बारे में कई बार पत्र लिखा गया लेकिन समस्या से निजात नहीं मिल पाई। जैस-जैसे गर्मी और बढ़ेगी पेयजल का संकट और ज्यादा गहरा जाएगा। प्रधान व ग्रामीणों का कहना है कि गांव में ओवरहैड टैंक का निर्माण होना चाहिए।