दो दिन से वायुमंडल में धूल भरी हुई है। स्थिति यह है कि बाहर खड़े वाहनों में कुछ ही देर में धूल की मोटी परत जम जाती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय के अनुसार आमतौर पर बिजनौर जनपद क्षेत्र के वायुमंडल में धूल के कण 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होते हैं लेकिन अब धूल की मात्र 139 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गई है। वायु मंडल में धूल सामान्य से लगभग तीन गुना तक है। बिजनौर के मुकाबले मेरठ और दिल्ली में स्थिति और ज्यादा खराब है। जानकारों का कहना है कि राजस्थान में धूल भरी हवाएं चली हैं। इस कारण धूल वायुमंडल में आ गई है। धूल का असर पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में दिखाई दे रहा है।
श्वास रोगियों को हो रही दिक्कत
वायुमंडल में मौजूद धूल कणों से श्वास रोगियों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। सांस के जरिए धूल के कण अंदर जाने से इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है। अस्थमा के रोगियों को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
37 डिग्री से ऊपर तापमान
हवा में धूल ही नहीं बल्कि उमस से भी लोग बेहाल रहे। वायुमंडल में धूल के कण उष्मा को सोख रहे हैं। इससे वायुमंडल में उमस बनी हुई है। गुरुवार को अधिकतम तापमान 37.6 डिग्री तथा न्यूनतम 24.5 डिग्री रहा। धुंध के चलते मौसम खराब होने की संभावना है।