शहर से निकलने वाला गंदा पानी कई जगह नालों के जरिए मालन नदी में डाला जा रहा है, जिससे नदी का पानी तेजी से प्रदूषित हो रहा है। इतना ही नहीं यह पानी जलीय जीवों के लिए जहर है, जिससे नदी में जलीय जीव विलुप्त हो रहे हैं। वहीं मालन नदी के तट के आसपास बसे गांवों के काश्तकार नदी के नजदीक खेती करते हैं। नदी के नजदीक खेती करने से उनकी पानी की समस्या का तो निराकरण हो जाता है, लेकिन जागरुकता के अभाव में इन काश्तकारों द्वारा खेत से ली जाने वाली ताजी सब्जियां नदी के गंदे पानी में ही धोयी जा रही हैं।
खेत से ली जाने वाली फसल को कट्टों में भरकर दिन निकलते ही काश्तकार नदी किनारे पहुंच जाते हैं। मूली, शलजम, गाजर, लौकी आदि सब्जियां मालन नदी के गंदे पानी में धोई जा रही हैं, जिसके बाद ये सब्जियां क्षेत्र की सब्जी मंडियों में सप्लाई की जा रही हैं। यह काम रोजाना नियमित रूप से किया जा रहा है। उक्त सब्जियां खाने से लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ना लाजमी है। नदी का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि नदी के पास के राहगीरों का निकलना मुश्किल भरा हो गया है।