हमारी दिल्ली में एक संस्था NGT है. उसे अचानक गुस्सा आ जाता है.फिर उसके एक के बाद एक आर्डर आने लगते हैं.शहर में प्रदूषण,धूल मिटटी और निर्माण कार्य पर जोर आजमाइश होती है.ट्रैफिक वाले सड़क पर रोक रोक कर चालान काटने लगते हैं.गली मोहल्लों में कूड़ा जलाने पर 2000 रूपये के जुर्माने और सजा के पोस्टर दिखने लगते हैं.यह सब कवायद सियारों की हुआ हुआ की तरह लगती है.
केजरीवाल odd even के फायदे बताने लगते हैं.
बीजेपी की केंद्र सरकार उसकी काट के लिए केजरीवाल की गलतियां गिनाने लगते हैं.
फिर हरियाणा पंजाब के किसानों की पराली का विलाप होता है.
एकाएक दिल्ली में निर्माण का कार्य बंद हो जाता है,जो दिहाड़ी पर लाखों लोग बिहार उत्तरप्रदेश,बंगाल राजस्थान और उड़ीसा के मजदूर आये,उन्हें इसके बारे में कुछ पता नहीं होता कि ये प्रदूषण क्या बवाल है,वे भूख से अकड़ जाते हैं,इंतजार करते हैं,या लौट जाते हैं.
ऐसे में मोदी जी का हाथ में झाड़ू लिया हुआ सफाई का पोस्टर बहुत काम का होता है.
अब दोष किसको दें?
सरकार के पास विकास नाम का जो बच्चा है,उसके बाप और सरकार के बाप दोनों एक हैं.
संजय गांधी के सपने को साकार करने के लिए(संजय गाँधी का सपना भी अमेरिका,जापान ने ही दिया था)देश में मारुती का जन्म हुआ.हर मध्य वर्ग को एक गाडी दिलाने का.
इस चक्कर को विकास कहा गया.
इससे वर्ल्ड बैंक,IMF भी खुश हुआ.जापान तो बहुत खुश.उसे बिना भारत पर अंग्रेजों की तरह कब्जा करके जो फायदा हुआ और हो रहा है उसके क्या कहने।
खाड़ी वाले देश भी पेट्रोल की बढ़ती मांग से खुश होने ही थे.
फिर देश में सड़के बनीं,जो चिकनी होती गई,ताकि इन हल्की और नाजुक गाड़ियों को आराम से बिना टेंशन के चलाया जा सके.टोल टैक्स बने.PPP मॉडल आया.अभी पिछले साल ही जब देश NPA से जूझ रहा था, 7 लाख करोड़ के रोड प्रोजेक्ट देश के तथाकथित विकास के नाम पर समर्पित किये गए.कुल 25 लाख करोड़ का हमारा सालाना बजट है.
मेट्रो रेल भी अब बना रहे हैं.इसे आप यह समझ लें कि जब आपने दाल भात सब्जी रायते से पेट ठूंस लिया हो तो ऊपर से कहा जाय कि मुर्ग बिरयानी का कड़ाह भी रखा है.खाओगे?
अब इन सब गंडमगोल बातों में उलझने से बेहतर है कि यह समझा जाय कि आखिर इस मर्ज की कोई दवा है कि नहीं?
मैं समझता हूँ कि मोदी सरकार हो या राहुल, इन दोनों के पास ही नहीं है.
ये वही करेंगे जो इनके आका इनसे कहेंगे।और इनके आका मुंबई से लेकर लंदन पेरिस टोक्यो पनामा में बैठे हैं.
उनके लिए ही हम वोट करते हैं.वही हमारा विकास करते हैं.जो फैशन टेक्नोलॉजी उनके यहाँ बेकार हो जाती है,वह हमें बेच देते हैं,और फिनिश्ड गुड्स के रूप में हमसे ले भी लेते हैं.भारत और चीन ने इस तरह काफी विकास कर लिए है.बस चीन की जनता इस मामले में लकी है कि काफी नुक्सान के बाद और पैसा कमाने के बाद,उन्ही पश्चिम के देशों से लेकर उन्होंने सब कुछ इतना बड़ा बड़ा बना दिया है,कि झक मारकर सब उससे ही लेने को मजबूर हैं.
चीन अब इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल पर सबसे अधिक जोर दे रहा है.प्रदूषण करने वाले उद्योगों को अपने यहाँ से बंद कर,अफ्रीका जैसे महादीप में डाल रहा है.बल्क ड्रग बंद कर रहा,वह माल ही चीन से भारत न आये तो कम से कमकम 50000 करोड़ का फार्मा उद्योग भारत का तबाहतबाह हो जायेगा।
कुल मिलाकर भारत के मध्य वर्ग जो खुद को थोड़ा बहुत नहीं बहुत पढ़ा लिखा समझता है,और कभी पद्मावत पे,तो कभी इलाहबाद फ़ैजाबाद आगरा के नाम पर फिसलफिसल जाता है,धर्म पर आहत होता है,को कस कर लात पड़ने पर शायद सोचे।
माना कि किसी भी देश में सबसे अमीर और बहुसंख्यक गरीब के बीच के मुद्देमुद्दे ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते आये हैं,सदियों से.मोदी हमेशा बताएँगे कि वे जो भी कर रहेरहे हैं वह किसी गरीब महिला,किसी गरीब किसान और मजदूर के लिए ही मारे मारे देश विदेश का हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं.लेकिन काम वह सौ फीसद अपने असली आका के लिए ही करेंगे।
हम मध्य वर्ग जो इस देश में २० करोड़ है,वह मूर्ख की तरह कभी टेबल टेनिस की बॉल को मुंडी घुमा घुमा के देखता रहेगा और कयास लगाता रहेगा और कुछ नहीं होगा।कुछ करना है तो आपको ही बोलना पड़ेगा।वक्त आ गया है कि मध्य वर्ग सम्पूर्णता में देश की संकल्पना करे.अपने टुच्चे स्वार्थ के चक्कर में ही रहेगा तो कल जो तेजी में (1995-2010) में मिला था,उसमे से कुछ ही ऊपर और 90% की हालत पतली होने वाली है,हो रही है.
आपका PF तक दांव पर लगा दिया है इन ठुल्लों ने,बैंक की हालत तुम्हे पता है.LIC का दिवाला किसी दिन वैसे ही चौराहे पर फूटेगा जिस तरह IL&FS का हुआ है.अरे यार तुम्हारे आस पर तो इस भारत देश का 75% किसान,मजदूर,युवा टिका रहता है,तुम अपने और उसके साथ यह धोखा बंद करो न.
हर शहर हर गली में #CitizenForum बनाकर खुद पहल करो न.हम चुन कर जिनको भेजते हैं,उनकी खाट तो खड़ी करने के बारे में दिन में आधे घंटे भी सोच लोगे तो भारत माता तुम्हारा उपकार कभी नहीं भूलेगी।सिनेमा हाल में जय जय करने से अगर देश का विकास और भारत विश्व गुरु बन जाता तो सोचो हमारे 130 करोड़ में 120 करोड़ लोग तो ईश्वर अल्लाह को दिन रात याद करते हैं,सब स्वर्ग में होते और बार बार उन्हें धरती पर क्यों जन्म लेना पड़ता?