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शेरकोट के ब्रश उद्योग के अस्तित्व पर खतरा
बिजनौर जिले का शेरकोट देश में ब्रश नगरी के रूप में जाना जाता है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते और सरकार की ओर से अभी तक कोई राहत पैकेज देने की घोषणा नहीं करने से इस उद्योग का अस्तित्व पर खतरा मंडरा गया है।
लघु उद्योग - कभी नहीं आया इतना बुरा वक़्त
उद्योग धंधे अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। कृषि प्रधान बिजनौर जिले में भी चार हजार से अधिक उद्योग धंधे संचालित हैं। उद्योगों के महत्व को इससे समझा जा सकता है कि जैसे सरकार ने लॉकडाउन में खेती के किसी भी काम को बाधित नहीं किया उसी तरह उद्योगों को भी लॉकडाउन के दौरान खुलने की रियायत दी गई।
नहटौर का था पावरलूम कारोबार तोड़ रहा दम
क्षेत्र का पावरलूम कारोबार कभी अपनी पहचान के लिए देश-विदेश में भी जाना जाता था। पिछले 50-55 वर्षों में नहटौर और आसपास में यह कारोबार तेजी से फला फूला।
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खोने लगी है नजीबाबाद की पहचान
ट्रांसपोर्टेशन को लेकर दूर तक पहचान बनाने वाले नजीबाबाद शहर की पहचान अब धुंधली होने लगी है। महंगाई की मार झेल रहे ट्रांसपोर्टरों का इस काम से मोह भंग होने लगा है। क्षेत्र में पिछले एक दशक में ट्रकों की संख्या घटकर आधे से भी कम रह गई है। नजीबाबाद के ट्रक अब गिने-चुने जनपदों एवं आसपास के राज्यों तक ही सीमित होकर रह गए हैं।
काष्ठ कला उद्योग को मिलेगा बाजार
अब जिले के काष्ठ कला उद्यमियों के उत्पादों को पूरे देश के साथ-साथ विदेशों में भी बाजार मुहैया कराया जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में बने अवध शिल्प ग्राम में स्टाल नंबर 58 जिले के काष्ठ कला उद्यमियों के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
बिजनौर - हथकरघा, वस्त्र बुनाई और छपाई उद्योग संकट में
बिजनौर में जनपद, विशेषकर नहटौर क्षेत्र में, पुश्तैनी लघु उद्योग-धंधे प्राय: लुप्त होने के कगार पर हैं। विशेषकर हथकरघा, वस्त्र बुनाई एवं छपाई से जुड़े लोग विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। कभी अपना हुनर अफगानिस्तान तक पहुंचाने वाले कारीगरों की युवा पीढ़ी पुश्तैनी धंधे से दूर हो रही है।
नगीना - ठेले लगाने वालों का होगा पंजीयन
नगीना। नगर पालिका के सभागार में नगर पथ विक्रय समिति की बैठक में रास्तों पर कारोबार करने वालों के लिए दो सौ रुपये का पंजीकरण कराने का निर्णय लिया गया। बिना पंजीकरण ठेले नहीं लगाए जा सकेंगे। ठेले लगाने के लिए स्थान भी चिन्हित किए गए।समिति के अध्यक्ष