इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कभी शेरकोट का ब्रश उद्योग देश में अपनी अलग पहचान रखता था। पर अब केवल नाम ही रह गया है। ब्रश का मांग कोरोना काल में धड़ाम हो गई है। सेल्समैन ब्रशों को मांग के अनुरूप बुक करने को देश के कोने-कोने में जाते थे। दिवाली के मौके पर ब्रशों की मांग इस कदर बढ़ जाती थी कि माल को तैयार करना मुश्किल हो जाता था। पर वर्तमान में माल तो है पर मांग नहीं है। सोना ब्रश कारपोरेशन के मालिक हुसैन अहमद अंसारी का कहना है कि जब से भाजपा सरकार आई है। तब से तो कारोबार नहीं के बराबर बचा है। ब्रश पर 18 प्रतिशत जीएसटी है । ब्रश मैटिरियल पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगकर आता हैं। जबसे कोरोना वायरस का प्रकोप फैला है तब से ब्रश कारोबार 25 फीसदी भी नहीं बचा है। जो थोड़ा बहुत काम चल रहा है, वह दीपावली की वजह से है। जो सेल्समैन बाहर जाते थे। वह कोरोना वायरस के कारण बाहर नहीं जा पा रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि बैंक से भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है।
ब्रश यूनियन शेरकोट के अध्यक्ष/ सुपर पैनामा इंडस्ट्रीज के मालिक हाजी कमाल का कहना है कि कई बार सरकार से ब्रश उद्योग को बचाने के लिए राहत पैकेज की मांग की गई लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। जबकि अन्य उद्योगों को राहत पैकेज दिया गया है।
सुल्तान अहमद का कहना है कि सरकार ने ब्रश उद्योगों की बैंक लिमिट बढ़ाने की घोषणा की थी पर अभी तक लोन की भी लिमिट बैंकों में नहीं बढ़ सकी है। आफताब अहमद का कहना है कि यहां का ब्रश देश के कोने-कोने में जाता था। इस बार बाजार पूरी तरह औंधे मुंह पड़ा है। उद्यमियों ने सरकार से उद्योगों को बचाने को राहत पैकेज देने की मांग की है।
बिजनौर जिले का शेरकोट देश में ब्रश नगरी के रूप में जाना जाता है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते और सरकार की ओर से अभी तक कोई राहत पैकेज देने की घोषणा नहीं करने से इस उद्योग का अस्तित्व पर खतरा मंडरा गया है।
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- Source: AmarUjala