Saturday, 17 September 2016 08:05

जिसकी साजिश के सबब वीरान बस्ती हो गई

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communal tension bijnor

योगेश कुमार राज, बिजनौर

गूंज नारों की कहीं से, शोर चीखों का उठा

खून था इंसानियत का, हर तरफ बहता हुआ

जिसकी साजिश के सबब वीरान बस्ती हो गई

उसने हैरत से कहा, ये हादसा कैसे हुआ

जी हां, मैं बिजनौर हूं। आज फिर मेरा दामन दागदार हुआ। शांति और सद्भाव का संदेश देने वाले महात्मा विदुर को अपने आगोश में पालने वाली मेरी धरती पर आज फिर ¨हसा ने नंगा नाच किया। 25 साल पहले सूख चुके मेरे जख्मों को फिर से कुरेदकर नासूर बनाने की तैयारी है। राजनीति और मौकापरस्त लोग अपना मतलब साधने के लिए मुझे ¨हसा के आगोश में धकेलने के लिए उतारू हैं। मैं पहले से ही जख्मों के असहनीय दर्द से गुजरा हूं और उसकी पुनरावृत्ति नहीं चाहता। हर ¨हदू-मुस्लिम से मेरी अपील है कि अफवाहों को दरकिनार कर मेरी बाहों में सिमट जाए। कहीं ऐसा न हो कि कुछ लोगों के बहकावे में आकर फिर मेरा दामन रक्तरंजित कर डाले।

मुझे अभी तक वर्ष 1990 का जख्म याद है। राममंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर दो फाड़ हुई इंसानियत ने किस कदर घंटाघर के पास डा. सरफराज की हत्या की थी। इसके बाद अफवाहों का ऐसा दौर चला कि पहले शब्दों के बाण से मेरा हृदय टुकड़े-टुकड़े हुआ। फिर देखते ही देखते मैं जल उठा। इसके बाद मैं ¨हदू-मुस्लिम में बंट गया। एक साथ रहने वाले, एक साथ व्यापार करने वाले, एक साथ दोस्ती निभाने वाले और एक साथ हमनिवाला और हम प्याला होने वालों के बीच दरार पैदा हो गई और कुछ ही घंटों में यह दरार खाई में तब्दील हो गई। इसके बाद मेरी ही धरती पर रहने वालों ने, मेरा ही पानी पीने वालों और मेरी ही सरजमीं पर रखकर रोजगार करने वालों ने मेरी ही छाती पर विभाजन की दीवार खींच दी। इंसानियत धर्मो में बंट गई। इसके बाद मेरे दामन पर खूब लांछन लगाए गए। हर किसी ने शर्म और मर्यादा की हर सीमा लांघी। नैतिकता खूब तार-तार हुई। दोनों ओर से लगे आरोपों ने मेरे मन पर अविश्वास की स्थायी रेखा खींच दी। उस सदमे से मैं अभी तक उबर नहीं पाया था। अब फिर से पेदा में उसी तरह के हालात हैं। यहां पर फिर खून की होली खेली गई। कुछ ही घंटों में मौत ने तीन लोगों को अपना निवाला बना लिया और करीब दर्जन भर लोगों को मौत छूकर निकल गई। इसके बाद से फिर से अफवाहों का दौर गर्म होने लगा है। मौकापरस्त लोग फिर से अपने मंसूबे पालने लगे हैं। उन्हें दोबारा से मेरा दामन तार-तार करने का मौका दिख रहा है, लेकिन मेरी आपसे पुरजोर अपील है कि मेरे दामन को खुशबूदार बनाए रखें। किसी के बहकावे में न आएं। कानून को अपना काम करने दें और मुझे फलने-फूलने दें। नौनिहालों और बच्चों के चेहरों पर मुस्कान कायम रखें। उम्मीद के इसी सवेरे में आपका दिल से खैरमकदम।

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