इस फसाद की जड़े पिछले काफी समय से जमीन पकड़ रही थीं। दरअसल, इस तिराहे से पेदा के अलावा नया गांव व कछपुरा के लोगों का बिजनौर व किरतपुर आना-जाना है। नया गांव व कच्छपुरा जाट बहुल गांव हैं। छात्राएं इसी तिराहे से स्कूलों में जाती हैं। इनमें दोनों संप्रदाय की छात्राएं रहती थीं। बताया जा रहा है कि कुछ दिन से दोनों संप्रदाय के युवक अक्सर तिराहे पर आकर खड़े हो जाते थे और छात्राओं पर फब्तियां कसते थे। इसको लेकर जाट बिरादरी व मुस्लिम समाज के युवकों में तनाव चल रहा था। शुक्रवार सुबह दोनों पक्षों में बातचीत कर मामला निपटा दिया गया था। इसके कुछ ही देर बाद गांव में मौत का तांडव हुआ।
लापरवाह रही पुलिस
सुबह से ही पुलिस मामले को गंभीरता से लेती तो इस तरह का अंजाम नहीं होता। किसी ने नहीं सोचा था कि इस विवाद का परिणाम इतना वीभत्स होगा। तीन गांवों के तिराहे पर छात्राओं का एकत्र होना भी घटना की प्रमुख वजहों में एक रही।
हर तरफ से बरस रही थीं गोलियां
गांव में गोलियों की आवाज सुनकर सनसनी फैल गई। चंद मिनटों में ही खूनी खेल खेला गया। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि सुबह उठने पर उनको गांव में यह नजारा देखना पड़ेगा। गांव में चौतरफा खून बहा देख हर कोई दंग रह गया।
गांव पेद्दा में रोज की तरह ग्रामीण अपने काम काज में लगे थे। कोई जंगल जाने की तैयारी कर रहा था तो कोई मजदूरी पर जा रहा था। सुबह उठने पर किसी ने यह नहीं सोचा था कि थोड़ी देर में क्या होने वाला है। छेड़खानी को लेकर नया गांव के लोगों ने गांव पेद्दा में हथियारों के साथ जब धावा बोला तो किसी की समझ में नहीं आया कि माजरा क्या है। गोलियों की तड़तड़ाहट से लोग सहम उठे। छतों की ओर देखा तो रायफल, बंदूक और तमंचे लिए लोग गोलियां बरसा रहे थे।
गोलियों से बचने के लिए लोग इधर-उधर भाग रहे थे। तभी पथराव शुरू हो गया। पथराव से गांव में भगदड़ मच गई। गोलियां बरसाने वाले गांव में हथियार लहराते घूमते रहे। दोनों पक्षों के लोग आमने-सामने आ गए। गांव में खून का तांडव चलता रहा। कोई किसी की मदद के लिए बाहर नहीं आया। सभी घरों में छिप कर चुपचाप खूनी खेल देखते रहे। थोड़ी देर में ही गांव में खून बह गया। पुलिस को सूचना दी गई।
एसपी देहात धर्मवीर सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों के मुताबिक पुलिस के सामने भी कातिल तांडव करते हुए भागे। कातिलों को किसी का डर नहीं था। गांव में थोड़ी देर में ही माहौल खराब हो गया। गांव के लोग गुटों में बंट गए। घटना को अंजाम देकर कातिल जंगलों के रास्ते भाग निकले। पुलिस ने कातिलों की तलाश की, पर कोई नहीं मिला। थोड़ी देर में ही गांव छावनी में तब्दील हो गया। पुलिस की गाड़ियां गांव में दौड़ने लगी।
मेरठ में भाग्यश्री हॉस्पिटल में भर्ती सलाउद्दीन का कहना है कि वो पल काफी खौफनाक थे। हर तरफ से गोलियां बरस रही थीं। चंद पलों में हर तरफ खून ही खून था और चीख पुकार मची थी। कुछ लोगों ने घरों में घुसकर जान बचाई तो कुछ लोग नालियों में गिर गए। उसकी शर्ट भी खून से लाल हो चुकी थी। वहीं भाग्यश्री में ही भर्ती गोली लगने से घायल हुआ मोहम्मद रिजवान अपनी ससुराल आया था। रिजवान के परिजनों का कहना है कि अगर बवाल का जरा भी अहसास होता तो हम अपने बच्चे को नहीं भेजते। सरस हॉस्पिटल की आईसीयू में भर्ती शादाब का कहना है कि वो घटना के वक्त अपने साथियों के साथ बैठा था, अचानक से भीड़ को आते देखा। उसे लगा कि लोग किसी रैली में जा रहे हैं, लेकिन इसी बीच मारपीट शुरू हो गई। उसके कुछ ही पलों में गोलियां चलने की आवाज आईं। उसके बाद वह अचानक से गिर गया। जब होश आया तो जिला अस्पताल में था।