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यूपी रोडवेज का सफर हुआ महंगा, जानें यात्रियों को अब कितना होगा किराया
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सरकारी बसों (UP Roadways Bus) में सफर करने वालों के लिए महत्वपूर्ण खबर है।
बिजनौर कोतवाली मार्ग पूरी तरह से गायब
चुनाव से पहले सड़कें बनाने की शुरूआत तो कर दी, लेकिन निर्माण की सुस्त चाल मुसाफिरों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं।
नगीना मार्ग पूरी तरह से खराब
डिपो से बसें सवारियों को लेकर चलती हैं, लेकिन रास्ते में चलते-चलते बंद पड़ रही है। इसका कारण मार्गों का खस्ताहाल होना है।
अच्छी सड़कों पर चलना है तो जेबें ढीली करने के लिए रहें तैयार
बिजनौर। जिले को तीन-तीन नेशनल हाईवे की सौगात तो मिली, लेकिन इसकी कीमत चुकानी होगी। यानी अब जिले में घूमना महंगा हो जाएगा। जनपद में चार टोल प्लाजा बनाए जाएंगे। हालांकि एक प्लाजा पर टोल वसूला जाने लगा है। आने वाले दो सालों के भीतर ही बाकी तीन टोल प्लाजा भी बनकर तैयार हो जाएंगे।
मुरादाबाद से नगीना हरेवली रोडपर रोडवेज बस चालू
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगीना तहसील में दो विधानसभा हैं। पहली विधानसभा नगीना दूसरी बढ़ापुर है। बढ़ापुर विधान सभा क्षेत्र के नाई वाला गांव से नगीना तक जाने के लिए आधा दर्जन से अधिक गांव के लोगों के लिए कोई वाहन सुविधा नहीं थी।
जिले को मिला एसी बस का तोहफा
बिजनौर। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने जिले के लोगों को बिजनौर से लखनऊ के लिए एसी बस का तोहफा दिया है। अफसरों के अनुसार सहारनपुर से लखनऊ जाने वाली वातानुकूलित (एसी) बस का बिजनौर बस स्टैंड पर रोजाना रात्रि आठ बजे आगमन होगा और लगभग 15 मिनट विश्राम करने के बाद बस सवा आठ बजे बिजनौर से प्रस्थान करेगी।
बिजनौर से लखनऊ बस सेवा शुरू
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के बिजनौर डिपो ने हर रोज शाम पांच बजे से लखनऊ के लिए बस सेवा शुरू की है। साथ ही लखनऊ से भी शाम को पांच बजे ही बिजनौर के लिए यात्रियों को आसानी से बस मिलेगी। अभी तक जिलेवासियों को लखनऊ आने जाने के लिए केवल ट्रेन पर ही निर्भर रहना पड़ता था।
तेज रफ्तार बस पेड़ से टकराई
किरतपुर: राष्ट्रीय राजमार्ग पर अनियंत्रित प्राइवेट बस पेड़ से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में बस में सवार दो दर्जन यात्री घायल हो गए। चालक-परिचालक घटनास्थल पर बस छोड़कर फरार हो गए।
टूटी सड़कें, 75 दिन, 82 मौतें
डेढ़ साल बाद भी सड़कों के जख्म नहीं भरे गए हैं। जिले की कई सड़कों की हालत बद से बदतर है। सड़कों में गहरे गहरे गड्ढ़े व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। अफसर और नेता इन पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। स्थिति यह है कि सड़क हादसों में 75 दिनों में ही 82 से ज्यादा जान जा चुकी हैं। इसके बावजूद भी सड़कों के गड्ढों की अनदेखी की जा रही है।
सड़क ख़त्म, अब केवल गड्ढे ही गड्ढे
हरिद्वार-मुरादाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरना है तो जान हथेली पर रखना होगा। दरअसल राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड की अनदेखी से करीब 80 किलोमीटर हाईवे अपनी पहचान खो चुका है। मार्ग पर गड्ढों के साथ जगह-जगह फैली रोड़ी राहगीरों के लिए खतरे की घंटी बजा रही है।