इब्राहिम छात्र जीवन में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। वहीं नगीना के राज्यसभा सांसद हाफिज मोहम्मद इब्राहिम को नेहरू कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था। आज के ही दिन 24 जनवरी 1968 को उनका ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।
हाफिज मोहम्मद इब्राहिम को दुनिया से रुखसत हुए पूरे 55 साल बीत गए हैं। मगर आज भी उनके चाहने वाले स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में उनके योगदान व बहादुरी की खूब चर्चा करते हैं। हाफिज मोहम्मद इब्राहिम ने राजनीति में सक्रिय होकर क्रांतिकारियों पर लगाए जा रहे गुंडा एक्ट का विरोध किया। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। नगीना के मोहल्ला काजी सराय में नजमुल हुदा व हसमत निशा के घर सन् 1888 में जन्मे हाफिज इब्राहिम को कुरान कंठस्थ करने पर हाफिज कहा जाने लगा था। नगीना निवासी शिक्षाविद परवेज आदिल बताते हैं कि 1958 में प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू कैबिनेट में इब्राहिम को सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, खाद्य एवं रसद व वक्फ जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए थे। वह बताते हैं कि इस दौरान उन्होंने मुस्लिम वक्फ का संविधान बनवाने में योगदान दिया था।
भारत-पाक के सिंधु नदी विवाद सुलझाने में शामिल रहे इब्राहिम
परवेज आदिल बताते हैं कि भारत-पाक के बीच चल रहे सिंधु नदी का विवाद सुलझाने, रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज को विधि का दर्जा दिलवाने आदि में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। छात्र जीवन से ही राजनीति में प्रवेश करने वाले हाफिज इब्राहिम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सचिव का चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। कुछ समय नगीना व बिजनौर में वकालत की और सन् 1919 में स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े
पिता की गिरफ्तारी पर तिरंगा लेकर सड़क पर उतरे थे अतिक उर रहमान
आठ अगस्त 1942 को मुंबई में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का बिगुल बजाया तो दिल्ली में नगीना के हाफिज मोहम्मद इब्राहिम सक्रिय हो गए। नौ अगस्त 1942 को उन्हें दिल्ली में, उनके बहनोई अब्दुल लतीफ को बिजनौर में गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा उनके साले मौलाना हिफजुर रहमान स्योहारवी को भी इस दौरान जेल जाना पड़ा। अपने पिता, फूफा व मामा की गिरफ्तारी का समाचार मिलते ही बिजनौर इंटर कॉलेज में पढ़ रहे 15 वर्षीय अतीक उर रहमान हाथ में तिरंगा लेकर सड़क पर आ गए। कॉलेज के भवन पर तिरंगा फहराने की कोशिश पर पुलिस ने अतिक उर रहमान को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि 1943 में इन सभी को रिहा कर दिया गया।
उपचुनाव में मुस्लिम लीग के प्रत्याशी को हराया था
साल 1937 में बिजनौर में उपचुनाव हुआ। महात्मा गांधी के कहने पर मोहम्मद इब्राहिम कांग्रेस का झंडा बुलंद करने के लिए चुनाव में कूदे। कहा जाता है कि इस चुनाव में मुस्लिम लीग की जीत के लिए मोहम्मद अली जिन्ना ने खुद बिजनौर में घेरा डाल दिया था। जबकि कांग्रेस की तरफ से खान अब्दुल गफ्फार खान उर्फ सीमांत गांधी बिजनौर आए थे। इस चुनाव में हाफिज मोहम्मद इब्राहिम ने जनपद के बड़े वकील अब्दुल समी को हराकर कांग्रेस का झंडा बुलंद किया था। सन् 1964 को हाफिज मोहम्मद इब्राहिम को अविभाजित पंजाब का गवर्नर बनाया गया था।