इन मरीजों के मिलने का कारण कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लागू नियमों को दरकिनार करना और घरों में छिपे प्रवासियों की जांच में विलंब माना जा रहा है।
जनपद में 25 मार्च से 31 मई तक लॉकडाउन चला। जनपद में पहला मरीज 13 अप्रैल को स्योहारा क्षेत्र के ग्राम मेवानवादा में मिला था। लॉकडाउन के अंतिम दिन 31 मई तक जिले में कुल 96 मरीज थे, इनमें से दो मरीजों की मौत हुई थी। इस दौरान 57 मरीज ठीक हुए थे, जबकि 37 मरीज एक्टिव थे। एक जून से शुरू अनलॉक-1 की गाइड लाइन के दौरान सम-विषम के अनुसार दुकानें खुली तो बाजारों में लोगों की भीड़ बढ़ गई। वहीं जिले में प्रवासी मजदूरों की आवाजाही बढ़ने के बाद कोरोना संक्रमितों की तेजी संख्या बढ़नी शुरू हो गई। 30 मई तक कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 290 पर पहुंच गई, इनमें से सात मरीजों की मृत्यु हो गई। 210 मरीज ठीक होकर अपने घर चले गए। वहीं अब एक्टिव केस 73 हो गए। आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के मुकाबले अनलॉक-1, में पांच व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, जबकि 193 मरीज बढ़े है। वहीं 153 मरीज भी ठीक हुए हैं।
उधर, शासन स्तर से जिला प्रशासन को अनलॉक-टू के लिए कोई नई गाइड नहीं मिली है, इसलिए बुधवार को अनलॉक-1 की गाइड लाइन की शर्तों के मुताबिक बाजार खुलेंगे। इन मरीजों के मिलने का कारण कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लागू नियमों को दरकिनार करना और घरों में छिपे प्रवासियों की जांच में विलंब माना जा रहा है। हालांकि प्रशासन ने कोरोना संक्रमितों के परिजनों और संपर्क में आए लोगों को क्वारंटाइन कराए जाने की व्यवस्था के साथ-साथ जनपद में हॉटस्पॉट सील कराने के साथ-साथ उनमें बाहरी लोगों की आवाजाही पर रोक लगाने का काम किया, लेकिन घरों में छिपे प्रवासियों ने प्रशासन के करे-धरे पर पानी फेरने का काम किया। नागरिक विश्वकर्मा मुकेश अनुज, ज्ञानेश्वर सिंह, कृष्ण कुमार शर्मा आदि का कहना है कि अनलॉक-1 में दी गई छूट का लोगों ने गलत फायदा उठाया। विभिन्न राज्यों से आए प्रवासी कामगार भी बिना जांच कराए अपने घरों में बैठ गए। रैंडम नमूने लिए गए तो कोरोना संक्रमितों कर संख्या भी तेजी से बढ़ गई। यदि रैंडम नमूने लेने की प्रकिया चलती रही तो जिले में कोरोना संक्रमितों की बढ़ना तय है।