जब तक टायफायड की पहचान न हो जाए, तब तक कोई भी एंटीबायटिक न लें। खांसी, आंखों में लाली और नाक बहना आदि वायरल विकार की वजह से भी हो सकता है।
डेंगू होने पर आखें हिलाने पर दर्द होता है। चिकनगुनिया में मरीज को बुखार, रैशेस और जोड़ों में दर्द होता है। कलाई के जोड़ों को दबाने से जोड़़ों का दर्द बढ़ता है।
मलेरिया के बुखार में कंपकपी छूटती है और कठोरपन आ जाता है, बुखार के बीच में टोक्सीमिया नहीं होता। पीलिया में जब तक पीलिया सामने आता है तब तक बुखार चला जाता है।
टायफायड का रोगी टॉक्सिक लगता है और उसकी नब्ज बुखार से कम होती है। ज्यादातर वायरल बुखार अपने आप नियंत्रित होते हैं और एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।मानसून के ज्यादातर वायरल विकारों में उचित मात्रा में पानी लेने से इलाज हो जाता है। किसी लंबी मेडिकल बीमारी के दौरान बुखार होने पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।