हाल के शोधों में भी यह बात सिद्ध हुई है की संतुलित एवं समय पर किया गया भोजन, और रात्रि में समय पर सोना, मानसिक स्वास्थ के लिए बहुत उत्तम है।
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में अपने काम स्वयं करने की योग्यता होती है, स्वस्थ व्यक्ति न सिर्फ सामान्य सामाजिक सम्बन्ध बनाने में समर्थ होते हैं बल्कि अपनी आध्यात्मिक एवं माली हालत का भी ख्याल रखने और सभी चीजों में समन्यव बनाये रखते हैं, जरूरत और समय पर समाज और परिवार के लोगों से खुल कर मदद माँगते हैं। इसके साथ ही, मानसिक रूप से स्वास्थ्य व्यक्ति उन निर्देशों और दिशाओं का पालन करता है जो समाज, परिवार, कर्म और अन्य क्षेत्रों में समृद्धि और संतुष्टि के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारे भौतिक जीवन, भावनात्मक और सामाजिक कल्याण का हिस्सा होता है। एक अच्छे मानसिक स्वास्थ्य वाला व्यक्ति ऊर्जावान दीखता है, अपने जीवन साथी एवं समाज के साथ सुखद रिश्ता बनाये रखने में सक्षम होता है।
मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा और समाज का रुख
अधिकतर लोगों द्वारा दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य को उपेक्षित किया जाता है। भारतीय समाज में भी कई लोग मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करते देखे जा सकते हैं। अब प्रश्न उठता है की मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण क्यों है?
जैसे हमें हमारे शरीर की देख−भाल की जरूरत होती है, उसी तरह मस्तिष्क और उसके प्रक्रम को भी सही देखरेख की जरूरत होती है। जैसे हम अपने शरीर को बीमार होने से बचाते हैं, उसी तरह हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी बचाना होता है। शरीर और मन के सभी प्रक्रमों को सुचारु रूप से चलाने के लिए उत्तम मानसिक स्वास्थय का होना ज़रूरी है। अच्छा मानसिक स्वास्थय हमारे अंदर एक सक्रिय बल एवं स्फूर्ति बनाये रखता है।
मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना, स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। मानसिक बीमारियों से जूझना उतना ही मुश्किल होता है जितना कि शारीरिक बीमारियों से। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सही ज्ञान और इस ज्ञान का उपयोग करके हम अपने मानसिक स्वस्थ को बेहतर रख सकते हैं।
भारतीय समाज और मानसिक स्वास्थ्य चुनोतियाँ
भारतीय समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बहुत से मिथ्क प्रचलित हैं। सामाजिक और शिक्षा के स्तर पर पिछड़े लोगों में "मानसिक बीमारी" को लेकर कई रूढ़िवादी धारणायें हो सकती हैं, जैसे की
- मानसिक बीमारियाँ इन्शान के इस जन्म या पिछले जन्म में किये गए बुरे कर्मों का फल होती हैं।
- मानसिक बीमारियाँ कमजोर और आलसी लोगों को होती हैं।
- मानसिक बीमारियाँ एक अभिशाप हैं।
इसलिए, गरीब एवं पिछड़े लोगों में से केवल कुछ ही अपने मानसिक स्वास्थ्य पर खुल कर बात कर पाते हैं। भारत में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं बिहार के कई हिस्सों में तो मानसिक रूप से परेशान कुछ महिलाओं को डायन बता कर न सिर्फ गॉवों से निकाला गया, बल्कि कुछ दुर्भाग्यवश मौकों पर, जहाँ पुलिस और प्रशासन को रोगी को प्रताड़ित किये जाने की जानकारी न मिल सकी, गांवों में जला कर या पीट पीट कर हत्या कर दी गयी । वहीं शहरों में कम पढ़े-लिखे लोगों में मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति का मजाक बनाने और गंभीरता से न लेने के किस्से दिखना आम है।
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता में आपका योगदान
एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सब का एक फर्ज है की हम एक दूसरे के मानसिक स्वास्थ्य को समझें और आगे आकर मदद करें, जिसकी हम सबको आज बहुत जरूरत है। हम इस विषय पर खुले-दिमाग से सोचें और अधिक से अधिक लोगों को मानसिक बिमारियों से बचने और इलाज के तरीके के बारे में बतायें।
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताएँ
- स्वयं को संतुलित एवं स्फूर्त महसूस करना
- समय पर और पूरी नींद लेना
- स्वस्थकर खाने-पीने की आदतें होना
- शराब, तम्बाकू और अन्य तरह के व्यसनों के बिना पार्टी करना
- दैनिक जीवन में खुश रहना,
- परेशानी में अपनी बात को खुल कर कर पाना
- अपनी बात रखने और "न" कहने में शर्म महसूस न करना
- अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना
अगर आपको या आपके किसी जानकर को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी समस्या होती है, तो सबसे पहले आपको एक चिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से मिलना चाहिए ।
कुल मिलाकर, मानसिक स्वास्थ्य की समझ, देख−भाल, और इस पर बात करने के महत्त्व को भारतीय समाज के बड़े भाग तक पहुँचाने की जरूरत है। हम सबको इस विषय में एक साझा भूमिका निभाने और बोल-चाल में इस तरह की चर्चायें करने की जरूरत है। एक बेहतर मानसिक स्वास्थय न केवल हमारे संतुलित जीवन के लिए जरुरी है, बल्कि एक खुशहाल जीवन जीने में भी मदद कर सकता है।