जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रेजिडेंशियल कोचिंग से तैयारी करने वाले जुनैद इतनी बड़ी सफलता हासिल करेंगे, किसी को यकीन नहीं था। आज वह अपने कस्बे नगीना ही नहीं बल्कि देश में आईएएस के तीसरे टॉपर के तौर पर पहचान बना चुके हैं।
जुनैद बताते हैं कि एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार का हूं। नगीना कस्बे में मेरी परवरिश हुई। शुरू से पढ़ाई में भी औसत छात्र ही रहा। दसवीं और 12वीं की परीक्षा में मेरे 60 फीसदी नंबर आए थे। 12वीं के बाद स्नातक की पढ़ाई प्राइवेट विश्वविद्यालय से की। इसमें भी मेरे 65 फीसदी तक ही नंबर आए थे। कॉलेज से निकलकर सेाचा कि अगर समाज को कुछ देना हो तो आइएएस से बेहतर कुछ नहीं होता। जब घरवालों को बताया उन्हें इकबारगी यकीन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इरादा तो बहुत अच्छा है लेकिन तुम पढ़ते नहीं हो। लेकिन मैंने उसके बाद खुद को पढ़ाई में ही झोंक दिया। वर्ष 2013 से तैयारी शुरू की तो घरवाले भी मेरी लगन देखकर मेरा सहयोग करने लगे। पिछले चार साल से तैयारी कर रहा हूं। बीते साल 2018 में मेरा आईआरएस में चयन हो गया था।
27 साल के जुनैद कहते हैं कि मैं खानदान में पहला आईएएस बना हूं। मेरे पिता जावेद हुसैन जो पेशे से वकील हैं और मां आयश रजा आज मेरी कामयाबी का जश्न मना रहे हैं। मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हूं, लग रहा है कि मेरा ख्वाब पूरा हो गया है। मेरी दो बहनें एक बड़ी महविश की शादी हो गई है और छोटी बहन हादिया प्राइवेट जॉब कर रही हैं। देानों ही बहनें मुझ पर गर्व कर रही हैं। छोटा भाई अरहान 12वीं में है, वो भी नगीना में पढ़ता है।