नगीना लोकसभा सीट पर बसपा से भाजपा में शामिल हुए डा.यशवंत सिंह 2014 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़कर मोदी लहर में सांसद बन गए। पिछले पांच सालों में इलाके में उनका कड़ा विरोध होता रहा है। नगीना में रामडोल के जुलूस के दौरान सांसद डा.यशवंत सिंह की भूमिका को लेकर हिंदू वोटर उनसे नाराज हो गए थे। पुलिस ने जुलूस के दौरान खूब लाठीचार्ज किया। पर सांसद लोगों की कोई मदद नहीं कर पाए। इसके अलावा क्षेत्र में दिखाई न देने से भी लोग उनसे खफा थे।इस बार डा.यशवंत सिंह का टिकट कटना पक्का माना जा रहा था। पर भाजपा हाईकमान ने ऐन वक्त पर डा.यशवंत सिंह को ही टिकट थमा दिया है। नगीना सीट पर सपा से भाजपा में आए पूर्व सांसद यशवीर सिंह, विधायक ओमकुमार की पत्नी शोभा रानी, सुभाष वाल्मीकि, सुरेश राठौर टिकट की दौड़ में शामिल थे।पूर्व सांसद यशवीर सिंह का टिकट पक्का माना जा रहा था। पर सपा का सांसद रहते लोकसभा में प्रमोशन में आरक्षण का बिल फाड़ने पर अनुसूचित जाति के लोग उनसे नाराज न हो जाएं, यह बात भाजपा हाईकमान को बताई जा रही थी।इसके अलावा कुछ दिनों से खुर्जा से भाजपा सांसद अशोक प्रधान का नाम भी नगीना सीट के लिए चल रहा था। कांग्रेस इस सीट पर भाजपा से कांग्रेस में आईं पूर्व मंत्री ओमवती पर दांव खेल चुकी है। बसपा ने अपने पुराने दिग्गज गिरीशचंद्र को चुनाव मैदान में उतारा है।
कांग्रेस ने कद्दावर मुस्लिम नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर खेला दांव
बिजनौर में बिजनौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने टिकट बदल दिया है। बसपा से कांग्रेस में आए बड़े मुस्लिम चेहरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बिजनौर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के चुनाव मैदान में आने से मुस्लिम वोटरों में सेंध लगने की उम्मीद बढ़ी है। अब तक चुनाव में कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं था। चुनाव में भाजपा, गठबंधन प्रत्याशी व कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार बन गए हैं।
कांग्रेस ने बिजनौर लोकसभा सीट से पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व.नारायण सिंह की बेटी व गुर्जर बिरादरी की नेता इंदिरा भाटी पर दांव खेला था। इंदिरा भाटी कांग्रेस की कमजोर प्रत्याशी लग रही थीं। शुरू से ही उनका टिकट काटे जाने के कयास लगाए जा रहे थे। बिजनौर लोकसभा सीट पर बसपा के कद्दावर नेता मलूक नागर व शिवपाल यादव की संयुक्त प्रगतिशील पार्टी प्रत्याशी ईलम सिंह गुर्जर चुनाव मैदान में हैं। ये दोनों भी गुर्जर बिरादरी के हैं। एक ही सीट पर तीन गुर्जर होने से इंदिरा भाटी को गुर्जर वोट तक न मिलने की उम्मीद थी। इसके अलावा मुस्लिम वोट बसपा प्रत्याशी मलूक नागर के साथ पूरी तरह खड़ा दिखाई दे रहा था। कांग्रेस ने ऐसे में बड़े मुस्लिम नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर दांव खेला है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा के भी बड़े नेता रहे हैं। कांग्रेस में भी उनकी गिनती बड़े नेताओं में होती है। वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। जिले के कई बड़े मुस्लिम नेताओं के साथ मुस्लिमों में नसीमुद्दीन सिद्दीकी की गहरी पैठ है। इसका लाभ चुनाव में वह उठाने की कोशिश करेंगे। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के चुनाव मैदान में आने से बिजनौर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी भारतेंद्र सिंह, बसपा प्रत्याशी मलूक नागर व कांग्रेस प्रत्याशी नसीमुद्दीन सिद्दीकी में कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के आने से बिजनौर लोकसभा सीट पर समीकरण गड़बड़ा गए हैं। बसपा व कांग्रेस को मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में करना बड़ी चुनौती होगी। बिजनौर लोकसभा सीट पर पांच लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। मुस्लिम इस सीट पर निर्णायक हालत में हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के चुनाव मैदान में आने के बाद कांग्रेस नेताओं में जान पड़ गई है। कांग्रेस नेताओं ने चुनाव के लिए पूरी तरह कमर कस ली है। बसपा प्रत्याशी मलूक नागर एक लाख से ज्यादा गुर्जर बिरादरी के वोटों के अलावा पांच लाख से अधिक मुस्लिम व तीन लाख से अधिक अनुसूचित जाति के वोटों के सहारे चुनावी नैया पार करने का समीकरण बैठा रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी भारतेंद्र सिंह हिंदुत्व एजेंडे व राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव मैदान में कूदे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी नसीमुद्दीन सिद्दीकी मुस्लिम व अनुसूचित जाति के साथ कांग्रेस के परंपरागत वोटों के सहारे चुनाव मैदान में आए हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के मैदान में आने से भाजपाइयों के चेहरों पर रौनक बढ़ी है। भाजपाइयों को लग रहा है कि चुनाव दिलचस्प होगा।