Thursday, 21 March 2019 10:01

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के फैसले से परिजन हैरत में

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zakir najibabad

समझौता एक्सप्रेस में हुए ब्लास्ट में नजीबाबाद के दंपती की मृत्यु हुई थी। जबकि उनका युवा पुत्र गंभीर रूप से घायल हुआ था। 12 वर्ष बाद आए फैसले में आरोपियों के बरी होने से परिजन आश्चर्य में हैं।

नजीबाबाद के मोहल्ला मुगलूशाह निवासी 68 वर्षीय मो. सिद्दीक अपनी 62 वर्षीय पत्नी अशरफुन्निशा और पुत्र मो. जाकिर के साथ पाकिस्तान जा रहे थे। फरवरी 2007 में दिल्ली से अटारी लाहौर के लिए दंपती अपने पुत्र के साथ समझौता एक्सप्रेस से बैठे। हरियाणा के पंचकुला क्षेत्र में समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट हुआ, जिसमें दर्जनों लोग हताहत हुए थे। इनमें नजीबाबाद के दंपती मो. सिद्दीक और उनकी पत्नी अशरफुन्निशा शामिल थीं। जबकि पुत्र मो. जाकिर बुरी तरह झुलस गया था। गंभीर रूप से घायल मो. जाकिर का करीब डेढ़ माह तक दिल्ली के अस्पताल में उपचार चला था। जाकिर का चेहरा, हाथ और शरीर बम ब्लास्ट में बुरी तरह झुलस गया था। सरकार ने दंपती के परिवार को मुआवजा राशि दी थी। समझौता एक्सप्रेस में हुए ब्लास्ट से अपने माता-पिता को गंवाने और स्वयं बुरी तरह झुलसने वाले नजीबाबाद निवासी जाकिर और उनका परिवार फैसले से संतुष्ट नहीं हैं।

मो. सिद्दीक की पहचान तक नहीं हुई

नजीबाबाद। ब्लास्ट इतना भयंकर था कि सद्दीक दंपती में से केवल डीएनए के माध्यम से अशरफुन्निशा की पहचान हुई थी। जबकि मो. सिद्दीक की पहचान न होने और डीएनए न मिलने से पहचान नहीं हो सकी थी।

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