Wednesday, 09 December 2020 09:52

नगीना में बंद, सपा नेताओं को किया गया नज़रबंद

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 nagina bharat band

नगीना। मंगलवार को किसानों द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर भारत बंद व चक्का जाम करने का ऐलान किया गया था।

भाकियू कार्यकर्ताओं ने नगीना किरतपुर मार्ग पर ग्राम नियामतपुर के सामने, नगीना नहटौर मार्ग पर नैनपुर सराय में तथा राष्ट्रीय राज्य मार्ग 74 पर पुरैनी तथा थाना कोतवाली देहात के ग्राम रोशनपुर प्रताप आदि स्थानों पर सुबह 11 बजे ट्रैक्टर ट्राली के साथ पहुंचकर जाम लगा दिया।

नगीना किरतपुर रोड पर ग्राम नियामतपुर के सामने लगे जाम में गांव अध्यक्ष सोनू पाल सिंह, नमेद्र सिंह, नागेंद्र सिंह, जगजीत सिंह सहित दर्जनों किसान व भाकियू कार्यकर्ता उपस्थित रहे। वहीं पुरैनी में जाम में डॉ. योगेंद्र सिंह, कृष्ण देव सिंह, ब्रह्मपाल सिंह, खड़क सिंह, राज कुमार सिंह आदि शामिल रहे। कोतवाली देहात के ग्राम रोशन प्रताप में लगे चक्का जाम कार्यक्रम को विधायक मनोज पारस ने सरकार को किसान विरोधी करार दिया। बाद में विधायक अपने समर्थकों के साथ पैदल ही कोतवाली देहात में चक्का जाम कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चल दिए। दोपहर तीन बजे सभी स्थानों पर लगे जाम खोल दिए गए। सभी स्थानों पर पुलिस बल की तैनाती रही। एसडीएम घनश्याम वर्मा, सीओ शुभ सूचित व थाना प्रभारी निरीक्षक कृष्ण मुरारी दोहरे पूरे दिन सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे।

बढ़ापुर में जाम लगाया, कृषि कानून वापस लेने की मांग

बढ़ापुर। कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली में चल रहे आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को भारत बंद के आह्वान पर भाकियू कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद चौराहे पर धरना व जाम लगाकर बढ़ापुर-नगीना मार्ग बाधित किया। बाजार पर बंदी का कोई असर नहीं दिखा। मंगलवार को कस्बे की दुकानें व बाजार रोजाना की भांति खुले। भाकियू कार्यकर्ताओं ने सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक किसानों के साथ कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली में चल रहे आंदोलन के समर्थन में नगीना-बढ़ापुर मार्ग स्थित इस्लामाबाद चौराहे पर धरना देकर रास्ता जाम किया। धरना स्थल पर हुई सभा में कृषि कानून को वापस लेने की मांग की गई। कुंवर सिंह की अध्यक्षता व शीशराम सिंह के संचालन में हुई सभा को हेमचंद भारती, कौशल कुमार, शाहिद मंसूरी, धर्मवीर सिंह, मौ.यासीन, महेंद्र सिंह, राजीव कुमार, मौ.शाहिद मंसूरी, करन सिंह, सुभाष व राजपाल सिंह आदि ने संबोधित किया।

जाम लगाकर सरकार की नीतियों की आलोचना की

नींदडू़। किसान संगठन के बंद के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन (भानू गुट) ने नूरपुर राज्य मार्ग पर स्थित भट्टे के चौराहे पर जाम लगाया, नारेबाजी की तथा केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए धरने पर बैठ गए। किसान जाम व धरना स्थल स्थित 10 बजे पूर्वांह जमा होने लगे थे। 11 बजे किसान सड़क पर कपड़ा बिछाकर बैठ गए। भाकियू व मजदूर संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष हरिराज सिंह जाट व महासचिव देवेंद्र सिंह ने कृषि कानूनों की आलोचना करते हुए इन्हें किसान विरोधी बताया। उन्होंने तीनों कानून तुरंत वापस लेने की मांग की। पूर्व जिला पंचायत सदस्य फिरासत हुसैन, समाजवादी युवजन सभा के जिलाध्यक्ष जावेद अख्तर, हुकम सिंह, मुजीबुर्रहमान, अमित कुमार, अरशद अली, दीपक कुमार, कर्मवीर सिंह, प्रज्जवल कुमार, मोहम्मद राहत, रईस अहमद, नवेद अरशद शबलू, अथर हुसैन, राम सिंह, गजेंद्र सिंह, शलभ व आशू समेत कई किसानों ने विचार व्यक्त किए। इस बीच एसडीएम धीरेंद्र कुमार सिंह और सीओ अजय कुमार अग्रवाल ने मौका मुआयना किया। किसानों ने पौने तीन बजे पुन: घटना स्थल पर पहुंचे एसडीएम को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन दिया।

सपा नेताओं पर पुलिस की रही निगरानी

बिजनौर। पुलिस की किसानों के आंदोलन के दौरान सपा नेताओं पर नजर रही। पुलिस ने सपा के जिलाध्यक्ष राशिद हुसैन को नजरबंद किया। विधायक मनोज पारस को भी नजरबंद करने की कोशिश की पर वे घर से निकल गए। पूर्व मंत्री स्वामी ओमवेश की घेराबंदी भी विफल रही वे पुलिस के पहुंचने से पहले ही आश्रम से निकल गए थे।
प्रशासन की सपा की किसान यात्रा को लेकर सपा नेताओं पर नजर थी। सोमवार को कई सपा नेता नजरबंद किए गए थे। मंगलवार को भी पुलिस की सपा नेताओं पर नजर थी। पुलिस ने सपा नेताओं की घेराबंदी करनी शुरू कर दी। सपा के जिलाध्यक्ष राशिद हुसैन मंगलवार को किसानों के आंदोलन में भाग लेने को मोहल्ला काजीपाड़ा स्थित अपने आवास से निकल रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें रोककर घर में नजरबंद कर दिया। नगीना के विधायक मनोज पारस को भी घर में नजरबंद किया गया पर वे किसी तरह निकल गए। पूर्व मंत्री स्वामी ओमवेश के दारानगर गंज स्थित आश्रम पर पहुंची पर ओमवेश नहीं मिले। वे सुबह चार बजे आश्रम से निकल गए थे। स्वामी ओमवेश जलीलपुर और चांदपुर के किसान आंदोलन में भाग लिया। सपा जिलाध्यक्ष राशिद हुसैन के मुताबिक प्रशासन सपा नेताओं को सरकार के इशारे पर नजरबंद करता रहे। वे किसानों के आंदोलन में भाग लेना चाहते थे पर प्रशासन ने उन्हें नहीं जाने दिया।

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