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बाल श्रम - एक अभिशाप
भारत में बाल श्रम की समस्या विशेष रूप से छोटे शहरों में अधिक प्रमुख है। यह अपराध हमारे समाज के लिए एक महामारी की तरह है, जो बच्चों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों को हानि पहुंचाता है। छोटे शहरों में बाल श्रम की समस्या को लेकर विभिन्न कारण हैं, जिनमें गरीबी, अनपढ़ता, परिवार की आर्थिक स्थिति, शिक्षा की कमी और व्याप्त सामाजिक परंपराएँ शामिल हैं।
मानसिक स्वास्थ्य एक झलक
इंसानों के लिए मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरुरी है जितना की एक स्वस्थ शरीर का होना। भारतीय बुजुर्ग हमेशा से कहते आये हैं की “एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ मन का निवास होता है !” साथ ही समय पर भोजन करने, समय पर सोने और जागने पर भी महत्व दिया जाता रहा है।
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आप भी खाते हैं स्टीकर लगे फल तो हो जाएं सावधान
फलों को चमकाने के लिए की जाने वाली मोम की कोटिंग और स्टीकर लगे फल बेचने पर मनाही है। फूड सेफ्टी स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने ऐसा करने वालों पर जुर्माना और कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। मगर जनपद में फल विक्रेता धड़ल्ले के साथ पॉलिश हुए और स्टीकर लगे फल बेच रहे हैं। स्टीकर लगे फल बेचने पर दो लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
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नगीना, सड़कों पर गंदगी, बीमारियों को न्यौता
नगीना की गलियों में आपको इस तरह के नज़ारे आसानी से देखने को मिल जाएँगे, जहाँ नगर पालिका के सफाई कर्मचारी नालिया साफ करके गंदगी को किनारे पर छोड़ देते हैं और गंदगी बाद में नगर पालिका की गाड़ी द्वारा उठा ली जाती है.
Travel Explore and Learn
While keeping Nagina and Dist Bijnor We can organize educational trips for students for the places like Rishikesh, Nainital, Jim Corbett, Dehradun, Mussoorie, Delhi, Rajashthan and many more.
मेरे मन की बकवास:
सुबह घूमना और जॉगिंग बंद कर दी है. आज से 3 साल पहले दिल्ली में जब जाड़े में बाहर धुंध होती थी,तो मुझे लगता था कि सुहाना मौसम हो गया है.
लेकिन जबसे फॉग और स्मॉग का लफड़ा टीवी वालों ने दिखाया है,हर बार यह क्रम टूट जाता है.
हमारे लुटियन इलाके में इसे लेकर बहुत गुस्सा होने से यह चिंता राष्ट्र की चिंता में कब तब्दील हो जाता है,पता ही नहीं चलता।
पसमांदा आंदोलन के बागबान- अभिनेता दिलीप कुमार
हम भारतीय सिनेमा को प्यार करते हैं उसको सोते, जागते, ओढ़ते, बिछाते हैं उसके लिए प्रार्थना करतें हैं। मशहूर हस्तियों को लोग सीमाओं से परे होकर चाहते हैं। अभिनेता और अभिनेत्रियाँ हमारे दिलों दिमाग मे एक खास जगह बनाये रहते हैं और हम जैसे दर्शकों को सिनेमा हॉल की चारदीवारी के बाहर तक भी प्रभावित करते हैं।