बच्चे अपने माता-पिता की मदद के लिए काम पर भेजे जाते हैं, लेकिन इसका परिणाम यह होता है कि उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह बच्चों को उनके अधिकार से वंचित करता है और उन्हें समाज की मुख्यधारा से दूर ले जाता है।
भारतीय सरकार ने बाल श्रम को रोकने के लिए कई कानूनी प्रावधान बनाए हैं, जैसे कि बाल श्रम (प्रतिष्ठान और आपराध) अधिनियम, 1986। इसके बावजूद, अन्य दलों के आगे बच्चों के शोषण का खतरा अभी भी मौजूद है।
इस समस्या को समझना और उसे रोकने के लिए हमें समाजिक जागरूकता बढ़ानी होगी, शिक्षा को मजबूत करना होगा, गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता पहुंचानी होगी, और कानूनों का सख्ती से पालन करना होगा। इससे न केवल हम बच्चों को उनके अधिकारों का आनंद दिला सकेंगे, बल्कि हमारे समाज को भी मजबूत और विकसित बनाने में मदद मिलेगी