पत्नी के जाने के बाद दो मासूम बेटियों को पालने की जिम्मेदारी अब उनके कंधों पर आ गई है। तीन साल की बेटी दोपहर को दिन में तीन बजे रोजाना जब यह कहती है कि पापा मम्मी को लेकर घर कब आओगे, यह बात सुनकर वह अपने आंसू नहीं रोक पाता है। वह पिछले कई साल से अपनी पत्नी को स्कूल से दोपहर तीन बजे लेकर घर लौटता था।
नगर के मोहल्ला काजी सराय प्रथम निवासी शिक्षिका साजिया रहमान क्षेत्र के ग्राम बिंजा खेड़ी के जूनियर हाई स्कूल विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत थी। साजिया के पति मोहम्मद वसीम बताते हैं की पंचायत चुनाव में ड्यूटी के लिए उनकी पत्नी 18 अप्रैल को नूरपुर ब्लॉक में गई थी। 19 अप्रैल की रात को वह अपनी पत्नी को चुनाव ड्यूटी पूरी करने के बाद खुद वापस घर लेकर आया था। अगले दो दिन बाद ही पत्नी को तेज बुखार व खांसी की शिकायत हुई तथा उसने निजी चिकित्सकों के यहां उसका इलाज कराना शुरू कर दिया। लेकिन सात मई को जब उसकी पत्नी की हालत ज्यादा बिगड़ गई तो वह उसे इलाज के लिए नगीना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर पहुंचा। वसीम का कहना है कि अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने उसकी पत्नी को ऑक्सीजन लगाने के बाद एंबुलेंस लाकर बिजनौर ले जाने के लिए कहा। अभी वह एंबुलेंस की व्यवस्था कर ही रहा था कि पत्नी की मौत हो गई।
पत्नी की नौकरी से पहले सऊदी में था वसीम
मोहम्मद वसीम बताते हैं की साजिया की सरकारी नौकरी लगने से पूर्व वह सऊदी में नौकरी करता था। पत्नी की नौकरी लगने के बाद पत्नी ने उसकी सऊदी में नौकरी छुड़वा दी थी। पत्नी की मौत के बाद उसके पास अब खुद व बच्चों की परवरिश करने के लिए कमाई का कोई संसाधन मौजूद नहीं है। उसका कहना है कि घर का पूरा खर्चा उसकी पत्नी की तनख्वाह से ही चलता था। जब तक मृतक आश्रित के रूप में सरकारी नौकरी नहीं लगती तथा कोई सरकारी मदद नहीं होती तब तक बच्चों की परवरिश व पढ़ाई लिखाई कराना भी मुश्किल नजर आ रहा है।
इलाज में खर्च हो गया पैसा
मृतका साजिया के पति मोहम्मद वसीम बताते हैं कि उसके दो बेटियां हैं। आठ साल की बेटी जिक्रा नगर के एक इंग्लिश मीडियम विद्यालय में पढ़ती है। जबकि तीन साल की बेटी अलजुब्रा अभी घर पर ही पढ़ाई कर रही है। मोहम्मद वसीम का कहना है कि वह अक्सर अपनी पत्नी को दोपहर में 3 बजे स्कूल से वापस घर पर लेकर आता था। अब रोजाना छोटी बेटी अलजुब्रा दोपहर तीन बजे मम्मी को याद कर बहुत रोती है। पत्नी के बैंक खाते में जो बैलेंस बाकी था अधिकतर इलाज में लग गया है। आगे का खर्च कैसे होगा यह सोच कर भी दिल घबराता है।