प्रदेश में 307 राजकीय,12 महिला व 2931 निजी आईटीआई हैं। लगातार गिर रही प्रशिक्षण गुणवत्ता सुधारने के लिए निजीकरण का फैसला लिया गया है। यह माना जा रहा है कि निजीकरण के बाद छात्रों को अत्याधुनिक मशीनों के जरिए नई तकनीक सीखने का मौका मिलेगा। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निजी हाथों में जाने के बाद शिक्षा व प्रैक्टिकल के स्तर में सुधार होगा। हालांकि सभी आईटीआई का पाठ्यक्रम एक ही रहेगा।
480 के बजाए करीब 26 हजार होगी फीस
आईटीआई की मासिक फीस अभी मात्र 40 रुपए है। निजीकरण के बाद फीस 480 रुपए सालाना से बढ़कर 26 हजार रुपए तक हो जाएगी। जबकि पॉलीटेक्निक से साल भर का डिप्लोमा लेने के लिए अभी लगभग 11 हजार रुपए फीस देनी पड़ती है।
राजस्थान में फेल हो चुका है प्रयोग
प्रशिक्षण संस्थानों के निजीकरण का प्रयोग राजस्थान में फेल हो चुका है। वहां वर्ष 2006 में सात पॉलीटेक्निक संस्थानों को निजी सेक्टर को सौंपा गया था। धीरे-धीरे संस्थानों में विवाद शुरू हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया।
"निजीकरण का फैसला प्रशिक्षण की गुणवत्ता को सुधारेगा। सभी संस्थाओं की सूची फाइनल हो गई है। अगले सत्र से प्रवेश शुरू होने की पूरी उम्मीद है।" - सुनील श्रीवास्तव, डिप्टी डायरेक्टर (ट्रेनिंग), आईटीआई
इन आईटीआई का होगा निजीकरण
पहला चरण : ताखा(इटावा),पैलानी (बांदा),पाली(ललितपुर),पटियाली(कासगंज),राजातालाब(वाराणसी), इकौना(श्रावस्ती), कसया(कुशीनगर),लालगंज(प्रतापगढ़),रानीगंज(प्रतापगढ़),कांठ(मुरादाबाद), लोनी(गाजियाबाद),जयसिंहपुर(सुलतानपुर),बांसडीह(बलिया),भटहट(गोरखपुर),जंगल कौड़िया(गोरखपुर),सौरांव(प्रयागराज)
दूसरा चरण : शिवराजपुर (कानपुर) सदर (औरैया),बांगरमऊ (उन्नाव),सौरिख (कन्नौज), थानाभवन-2 (शामली)
चीलवनियां (बस्ती), घोसी (मऊ), मिल्कीपुर (अयोध्या), मडियाहूं (जौनपुर), सादाबाद (हाथरस)
मार्टिनगंज (आजमगढ़), सिरसागंज (फिरोजाबाद),तिलहर (शाहजहांपुर), इटवा-2 (सिद्धार्थनगर)
सहजनवां (गोरखपुर), कोरांव (प्रयागराज), डालीगंज, फैजुल्लागंज (लखनऊ), बांकेगंज (लखीमपुर खीरी), शाहाबाद (हरदोई), किठौर (मेरठ), अफजलगढ़ (बिजनौर), सरौलीकदीम (सहारनपुर)
तिलहर (शाहजहांपुर), रिछा (बरेली )