एक बार फिर से रेलवे के तकनीकी विभाग और ठेकेदार की पुल निर्माण के प्रति लापरवाही सामने आई। कोटद्वार ब्रांच लाइन पर करीब छह करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए सूकरो नदी रेलवे पुल से 28 मार्च 2017 को ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ था। मात्र सवा चार महीने में पुल निर्माण की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लग गया। नजीबाबाद दिशा की पुल एप्रोच मजबूत न बनाने से मिट्टी का तेजी से कटान हुआ। सूकरो नदी का तेज बहाव मिट्टी को बहा ले गया और रेल लाइन हवा में झूल गई।
सूचना मिलते ही रेल अधिकारियों में अफरातफरी मच गई। तत्काल प्रभाव से शुक्रवार को सुबह कोटद्वार जाने वाली पैसेंजर ट्रेन सहित ब्रांच लाइन पर चलने वाली सभी ट्रेनों का संचालन रद्द कर दिया गया। दिल्ली से नजीबाबाद पहुंची गढ़वाल एक्सप्रेस ट्रेन को नजीबाबाद में ही रोककर वापस दिल्ली के लिए रवाना कर दिया गया।
एडीईएन करनप्रीत सिंह के नेतृत्व में रेलवे की रेस्क्यू टीम तत्काल मौके पर पहुंची। मुरादाबाद से एडीआरएम संजीव मिश्रा, सीनियर डीओएम पारितोष गौतम सहित तकनीकी अधिकारी मौके पर पहुंच गए। एडीआरएम ने चार-पांच घंटे में पुल की एप्रोच दुरुस्त कराने का दावा किया, लेकिन सूकरो नदी के तेज बहाव के चलते निश्चित अवधि में ट्रेनों का संचालन सुुचारु नहीं हो सका।
तकनीकी अधिकारी और ठेकेदार गंभीर नहीं
सूकरो नदी का रेलवे पुल बनाने में यदि रेलवे के तकनीकी अधिकारी और ठेकेदार गंभीर रहे होते तो करोड़ों की लागत से बने पुल की एप्रोच नदी की भेंट न चढ़ती। हर वर्ष सूकरो नदी में पहाड़ों से आने वाला पानी उफान के रूप में तबाही मचाता है। पुराना रेल पुल 23 जुलाई को सूकरो नदी के भयावह रूप के चलते ध्वस्त हुआ था। इसके बावजूद रेलवे के तकनीकी अधिकारियों और ठेकेदार ने पुल के दोनों ओर एप्रोच के तार बाड़, कंकरीट आदि के मजबूत बंदे बनाने में लापरवाही की, जिससे रेल लाइन को बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है।
15 दिन से कट रही थी मिट्टी
सूकरो नदी रेल पुल की एप्रोच की मिट्टी पिछले 15 दिनों से कट रही थी। स्थानीय तकनीकी विभाग के रेल अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन उन्होंने नदी के रुख बदलने और मिट्टी के कटान को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे सूकरो रेल पुल की एप्रोच खोखली हो गई और रेल लाइन हवा में लटक गई। संयोग से ब्रांच लाइन पर ट्रेन का आवागमन नहीं था, जिससे हादसा टल गया।