उत्तराखंड से निकलते ही गंगा उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। गंगा के अलावा रामगंगा, मालन, गांगन, खो, गूलाह, बान समेत दर्जन भर नदियां और नाले बिजनौर से होकर बहते हैं। नदियों की भरमार के बावजूद जनपद में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जनपद में 12 ब्लाक क्षेत्र हो गए हैं। इनमें से जलीलपुर, बुढ़नपुर, नूरपुर और नहटौर ब्लाक क्षेत्र डार्क जोन में हैं। यानि इन क्षेत्रों में भूजल का दोहन रीचार्ज से ज्यादा है। हम लगातार भूमि से पानी का दोहन कर रहे हैं लेकिन इसके मुकाबले बहुत कम पानी जमीन में जा रहा है। इसके अलावा कुछ और ब्लाक भी डार्क जोन होने की कगार पर हैं।
खत्म होते जा रहे जल संरक्षण के प्राकृतिक स्त्रोत
बिजनौर : भूजल संरक्षण के प्राकृतिक जल स्त्रोत तालाब खत्म होते जा रहे हैं। जिले में तालाब, पोखरों और झीलों की स्थिति पर गौर करें तो कभी जब जनपद की आधार खतौनी बनी थी उस समय इनकी संख्या 23 हजार 795 थी और इनका दायरा लगभग 31 हजार 538 हेक्टेयर में फैला हुआ था, लेकिन इनमें से करीब तीन हजार तालाबों पर अब भी कब्जा है और बाकी का क्षेत्रफल काफी सिमट गया है। इसके अलावा गंगा और रामगंगा के दोआब क्षेत्र में बसे बिजनौर जिले में इन दोनों नदियों के अलावा करीब एक दर्जन बरसाती नदियां जिले से होकर बहती हैं लेकिन इनके भी कंठ पूरी तरह सूखे हुए हैं।