अधिकारियों का कहना है कि लखनऊ की लैब से रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में कार्रवाई होगी।
खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहित अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि एक सूचना के आधार पर उन्होंने जिले के सभी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम बनाकर बृहस्पतिवार को मुरादाबाद मार्ग पर प्रियंका सीनियर सैकेंड्री स्कूल के सामने स्थित नई बस्ती में रिटायर्ड चकबंदी अधिकारी विशंभर सिंह के किराए के मकान में छापेमारी की। इस भवन में बाहर ताला था। देखने में लग रहा था कि यहां कोई नहीं रहता। अधिकारियों ने पड़ोसी के मकान की छत से झांककर देखा तो भीतर कुछ लोग काम कर रहे थे। अधिकारियों ने मकान के बाहर लगे ताले को तोड़ा और भीतर घुस गए। अंदर जाकर देखा तो वहां कई कमरों के अंदर वनस्पति (डालडा) घी, रिफाइंड व देशी घी के परफ्यूम की खुशबू से नकली देसी घी तैयार किया जा रहा है।
फैैैैक्ट्री मोहल्ला खातियान निवासी मनीष अग्रवाल की बताई गई है। अधिकारियों को इस दौरान फैैैैक्ट्री संचालन करने वाला तो नहीं मिला, पर उनकी गैरमौजूदगी में परिवार के अन्य सदस्यों से गहनता से पूछताछ की। टीम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी एसबी सिंह, जगदंबा प्रसाद, पीके जैन, रामवीर सिंह, तेज बहादुर सिंह, मोहित आदि पुलिस के साथ रहे।
इंसानों के खाने योग्य नहीं की चेतावनी भी
अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश माल पेंकिंग डिब्बों में है। लोगों को धोखा देने केेे लिए प्लास्टिक की पैकिंग के ऊपर मधुबन भोग पूजन (यूज ओनली पूजा) लिखा है। खास बात यह है कि देसी घी की इस खाद्य पैकिंग के ऊपर अंग्रेजी में चेतावनी के रूप में इट इज नॉन इडेबल प्रॉडक्ट, नॉट फॉर ह्यूमन कंजम्पशन (खाने योग्य नहीं, इंसानों के लिए नहीं) अंकित है।
100 ग्राम से एक किलो तक की पैकिंग
फैक्ट्री में काम करने वाले गांव जैतरा निवासी बिट्टू, अभिषेक व कुंडीपुरा निवासी अंकुर ने अधिकारियों को बताया कि यहां 100 ग्राम के घी के डिब्बे की कीमत 30 रुपये, 200 ग्राम की 50, आधा किलो की 120, एक किलो की 230 रुपये तक है। हालांकि शुद्ध देसी की कीमत इससे कहीं ज्यादा है। फैक्ट्री में काम करने वाले इन मजदूरों में एक श्रमिक नाबालिग है।
‘हमें क्या मतलब , किराएदार क्या कर रहा है’
रिटायर्ड चकबंदी अधिकारी की गैरमौजूदगी में उनकी पत्नी से भी पुलिस ने पूछताछ की। महिला ने बताया कि उन्होंने एक साल पहले मनीष अग्रवाल को इस भवन को 2500 रुपये प्रति माह किराए पर दिया था। किराया देने के बाद उन्हें क्या मतलब कि किराएदार उसमें क्या कर रहा है।
फैैैैक्ट्री मोहल्ला खातियान निवासी मनीष अग्रवाल की बताई गई है। अधिकारियों को इस दौरान फैैैैक्ट्री संचालन करने वाला तो नहीं मिला, पर उनकी गैरमौजूदगी में परिवार के अन्य सदस्यों से गहनता से पूछताछ की। टीम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी एसबी सिंह, जगदंबा प्रसाद, पीके जैन, रामवीर सिंह, तेज बहादुर सिंह, मोहित आदि पुलिस के साथ रहे।
इंसानों के खाने योग्य नहीं की चेतावनी भी
अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश माल पेंकिंग डिब्बों में है। लोगों को धोखा देने केेे लिए प्लास्टिक की पैकिंग के ऊपर मधुबन भोग पूजन (यूज ओनली पूजा) लिखा है। खास बात यह है कि देसी घी की इस खाद्य पैकिंग के ऊपर अंग्रेजी में चेतावनी के रूप में इट इज नॉन इडेबल प्रॉडक्ट, नॉट फॉर ह्यूमन कंजम्पशन (खाने योग्य नहीं, इंसानों के लिए नहीं) अंकित है।
100 ग्राम से एक किलो तक की पैकिंग
फैक्ट्री में काम करने वाले गांव जैतरा निवासी बिट्टू, अभिषेक व कुंडीपुरा निवासी अंकुर ने अधिकारियों को बताया कि यहां 100 ग्राम के घी के डिब्बे की कीमत 30 रुपये, 200 ग्राम की 50, आधा किलो की 120, एक किलो की 230 रुपये तक है। हालांकि शुद्ध देसी की कीमत इससे कहीं ज्यादा है। फैक्ट्री में काम करने वाले इन मजदूरों में एक श्रमिक नाबालिग है।
‘हमें क्या मतलब , किराएदार क्या कर रहा है’
रिटायर्ड चकबंदी अधिकारी की गैरमौजूदगी में उनकी पत्नी से भी पुलिस ने पूछताछ की। महिला ने बताया कि उन्होंने एक साल पहले मनीष अग्रवाल को इस भवन को 2500 रुपये प्रति माह किराए पर दिया था। किराया देने के बाद उन्हें क्या मतलब कि किराएदार उसमें क्या कर रहा है।