प्रधानमंत्री की जुबान से निकली बात के बाद भी काष्ठकला उद्योग दम तोड़ रहा है। इसके अलावा अन्य उद्योगों की भी यही दशा है। ऐसे हालात में क्षेत्र में कई समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। जनप्रतिनिधि इन पर कोई ध्यान नहीं दे रहे।
नगीना विधानसभा सीट से दिग्गज नेता अपनी किस्मत आजमाते आए हैं। कांग्रेस के मोहम्मद इब्राहिम और उनके बेटे अजीजुर्रहमान भी चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। अन्य दलों की भी इस सीट पर नजर रहती है। नगीना की काष्ठकला उद्योग से अपनी अलग पहचान है। लोकसभा चुनाव के दौरान धामपुर में आयोजित सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत नगीना के काष्ठकला उद्योग का जिक्र करके ही की थी। कहा था कि इस उद्योग को विकसित किया जाएगा। गुजरात मॉडल की तर्ज पर काष्ठकला को विकसित करने की बात कही थी। काष्ठकला से जुड़े व्यापारियों में नई उम्मीद जगी थी, पर आज तक कुछ नहीं हुआ, समस्या जस की तस है। यही नहीं कई और समस्याओं का भी निराकरण नहीं हो पाया है। एक लाख की आबादी पर नगीना में पानी की केवल एक टंकी है। जनप्रतिनिधियों के सामने इस टंकी की क्षमता बढ़ाने की मांग उठती आई है, पर यह समस्या जस की तस बनी हुई है। चुनाव के दौरान इन समस्याओं से निजात दिलाने के नेता वादे करते आए हैं। पर चुनाव बाद किसी ने ये वादे पूरे नहीं किए। सब अपने वादे भूल गए।
विधानसभा चुनाव का दौर शुरू हो गया है। अब फिर से नेता अपने पुराने वादों को दोहराने के लिए जनता के बीच निकल पड़े हैं। चुनाव में वादों का खेल शुरू हो गया है। नगीना सुरक्षित सीट से 2002 में सपा से ओमवती विधायक बनीं। 2007 में वे पाला बदलकर बसपा में चली गईं। बसपा से विधायक बनकर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बनीं। 2012 के चुनाव में इस सीट पर सपा ने कब्जा कर लिया। सपा से मनोज पारस चुनाव जीत गए। उन्होंने ओमवती को चुनाव में हरा दिया, तब से मनोज पारस व ओमवती में आमने सामने की राजनीतिक जंग शुरू हो गई। अब मनोज पारस सपा के प्रत्याशी हैं तो ओमवती भाजपा से टिकट मांग रही हैं।
मुस्लिम व दलित पलट सकते हैं पासा
नगीना सीट पर एक लाख 35 हजार मुस्लिम मतदाता चुनाव में निर्णायक हालत में हैं। इसके बाद 80 हजार दलित मतदाता हैं। बसपा दलितों के साथ मुस्लिमों पर डोरे डाल रही है तो सपा मुस्लिमों के साथ अन्य बिरादरी को अपने पाले में करने की कोशिश में लगी है। मुस्लिमों को रिझाने में सपा व बसपा के प्रत्याशी पूरी ताकत से लगे हैं। भाजपा भी दलितों पर डोरे डाल रही है। भाजपा 35 हजार सैनी, नौ हजार चौहान, 20 हजार जाट, दस हजार कश्यप व नौ हजार भुईयार समेत अन्य बिरादरी को अपने पाले में करने में लगी है।
नहीं चली कताई मिल
नगीना कताई मिल 16 साल से बंद है। यह मिल खंडहर में तब्दील होती जा रही है। इस मिल में 1500 कर्मचारी काम करते थे। चुनाव में नेता कताई मिल को चालू कराने का हर बार वादा करते हैं। इसके बावजूद यह मिल चालू नहीं हो पाई। मिल में काम करने वाले मजदूर बाहर चले गए। चुनाव के दौरान यह समस्या फिर से मुद्दा बनेगी।
नहीं हुई महिला चिकित्सक की तैनाती
नगीना में 30 बेड की सीएचसी है। 15 साल से सीएचसी में महिला चिकित्सक को तैनात करने की मांग हो रही है। हर बार चुनाव में नेता महिला चिकित्सक को तैनात कराने का वादा करते हैं। यह वादा पूरा नहीं हुआ है। चुनाव में महिला चिकित्सक की तैनाती भी मुद्दा बनेगी।
नहीं बनी दोनों सड़कें
नगीना बूढ़ावाला व बढ़ापुर मार्ग की दशा बहुत खराब है। इस सड़क को बनवाने की मांग होती आई है। यह सड़क नहीं बनी। दोनों सड़कों पर लोगों का पैदल चलना तक दूभर हो गया है। चुनाव में सड़कों के निर्माण का मुद्दा भी उठेगा।
सिमट गईं भट्ठी
नगीना व किरतपुर का कांच उद्योग दम तोड़ रहा है। नगीना में कांच उद्योग की 40 भट्ठी चलती थीं, जो आज सिमटकर केवल तीन रह गई हैं। इस उद्योग के मजदूर रोजी रोटी की तलाश में बाहर चले गए हैं। चुनाव के दौरान इस उद्योग को फिर से पटरी पर लाने का नेता वादा करते हैं। चुनाव बाद इसे भूल जाते हैं। चुनाव में यह उद्योग भी मुद्दा बनेगा।
बिजली समस्या बनेगी मुद्दा
देहात में बिजली की समस्या में सुधार नहीं हुआ है। लोग बिजली को लेकर परेशान रहते हैं। हर बार चुनाव में बिजली की समस्या का मामला नेताओं के सामने उठता है। नेता बिजली की समस्या से निजात दिलाने का वादा करते हैं, पर इस समस्या में कोई सुधार नहीं हुआ। यह समस्या पहले की तरह बनी हुई है। चुनाव में बिजली भी समस्या बनेगी।
नगीना विधायक मनोज पारस को चुनाव में अपने वोटरों पर पूरा भरोसा है। उन्हें उम्मीद है कि वोटर पहले की तरह उनका साथ देंगे। मनोज पारस ने जनता की जो भी समस्या सामने आई, उसे पूरा कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हर समय जनता के बीच रहने की कोशिश की। मनोज पारस पिछले 15 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। बसपा से उन्होंने राजनीति की शुरूआत की थी और अब सपा में राजनीति कर रहे हैं।
नगीना विधानसभा
कुल मतदाता - 3,23,062
महिला मतदाता - 1,50,999
पुरुष मतदाता - 1,72,063
पोलिंग सेंटर - 260
पोलिंग स्टेशन - 336