इनमें मुस्लिम महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया, मुस्लिम पर्सनल ला के हक में प्रपत्र पर हस्ताक्षर किए।
महिलाओं का कहना था कि मुसलमानों के नजदीक कुरआन एवं अहादीस ही पर्सनल ला है और कयामत तक यही व्यवस्था लागू रहेगी। इसमें किसी भी प्रकार की तब्दीली उन्हें किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है।
सरकार को मुस्लिम महिलाओं की चिंता करने की बजाय तमाम भारतीय महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा का बेहतर इंतजाम सुनिश्चित करना चाहिए। मुफ्ती मोहम्मद अशरफ, मोलवी अबरार अहमद, मोलवी शमशीर का कहना है कि महिलाओं का हस्ताक्षर अभियान अभी जारी रहेगा।