योगी आदित्यनाथ ने सूबे की कमान संभालते ही सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का ऐलान किया था। हर विभाग को सड़कों के गड्ढे भरने के लिए अलग से बजट जारी किया गया था। मगर, करीब डेढ़ साल बीतने के बाद भी सड़कों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। कई सड़कों की हालत बहुत बदहाल है। इन सड़कों पर सफर करने वाले राहगीर जान हथेली पर लेकर चलते हैं। जिले की धामपुर-नहटौर रोड की हालत तो इतनी खराब थी कि धामपुर चीनी मिल के अफसरों ने इस सड़क से गन्ना ले जाने से ही हाथ खड़े कर दिए थे। सड़क के गड्ढों के कारण कई दिनों तक क्षेत्र के क्रय केंद्रों पर तौल बंद रही थी। बाद में किसी तरह सड़कों के गड्ढे बंद करके तौल शुरू कराई गई। कई गांवों के किसानों ने खुद ही सड़कों के गड्ढे भरे थे। सड़कों की खराब हालत हर दिन कहीं न कहीं राहगीरों की जान ले रही है। लगभग हर सड़क हादसों में जान और माल का नुकसान हो रहा है। बीते ढाई महीने में ही सड़क हादसे 82 राहगीरों की जान जा चुकी है। इसके बाद भी अफसर व जनप्रतिनिधि इन सड़कों की सुध लेने को तैयार नहीं हैं।
इन सड़कों की हालत खराब
पैजनियां-नहटौर मार्ग, अम्हेड़ा-चांदपुर मार्ग, नजीबाबाद-हरिद्वार मार्ग, हरिद्वार-कोटद्वार मार्ग, जलालाबाद-किरतपुर मार्ग, धामपुर-नहटौर मार्ग, नगीना-काशीपुर हाईवे 74 की हालत खराब है। इन सड़कों के गड्ढे भरने के लिए अभी तक कुछ नहीं किया गया है।
हादसों में मौत का आंकड़ा
अक्तूबर: 29 मौतें
नवंबर: 37 मौतें
दिसंबर: 16 मौतें
नेशनल हाईवे की हालत सुधरी
एक साल में सबसे ज्यादा सुधार दिल्ली-पौड़ी नेशनल हाईवे का हुआ है। इस सड़क को दोबारा बनाया गया है। यह दिल्ली, यूपी को उत्तराखंड से जोड़ने वाली प्रमुख सड़क है।
अब भी भर रहे गड्ढ़े: एक्सईएन
पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन सुनील कुमार सागर का कहना है कि 87 किलोमीटर सड़क को गड्ढा मुक्त करने का लक्ष्य दिया गया था, वह पूरा कर दिया गया है। अब भी सड़कों के गड्ढे भरे जा रहे हैं। कुछ सड़कों पर निर्माण कार्य चल रहा है।