एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऑटो सेक्टर पर जीएसटी का पॉजिटिव असर होगा, इसलिए कुछ एंट्री लेवल कारों, टू वीइलर्स, एसयूवीज के दाम घटेंगे।
मान लीजिए अगर किसी कंपनी के एक कार बनाने में 2,72,375 रुपये की लागत आ रही है तो उसे 1,28,657 रुपये का टैक्स देना पड़ता है। इसमें एक्साइज ड्यूटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस, वैट आदिश शामिल हैं। यानी डीलर को यह कार 4,01,032 रुपये में मिलेगी। अब अगर डीलर 10% का मार्जिन रखता है तो उसके लिए कार की सेल प्राइस 4,41,135 रुपये हो जाएगी। इस पर 12.5% की दर से कुल 55,142 रुपये वैट लगेगा। फिर क्रेडिट क्लेम करने के बाद नेट वैट 12,502 रुपया हो जाएगा। इस तरह ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते कार की कीमत 4,96,277 रुपये पर पहुंच जाएगी।
अब अगर जीएसटी रिजीम की बात की जाए तो अगर कंपनी कोई कार 2,72,375 रुपये की समान लागत पर तैयार करती है तो उसे 18% के स्टैंडर्ड जीएसटी रेट से कुल 49,028 रुपये टैक्स देना होगा। यानी, डीलर के पास यह कार 3,21,403 रुपये में पहुंचेगी। फिर डीलर अगर 10% का ही मार्जिन रखता है तो उसके लिए सेल प्राइस 3,53,543 रुपये होगी। इस पर 18% की दर से कुल 63,638 रुपये जीएसटी लगेगा और आखिर में क्लेम क्रेडिट करने पर जीएसटी की राशि 14,610 रुपये होगी। इस तरह कन्जयूमर के लिए कार की कीमत 4,17,181 रुपये होगी। मतलब, 79,097 रुपये का सीधा फायदा।
इसी तरह इन सामानों के दाम भी कम होंगे
कार की बैटरी भी सस्ती होगी
पेंट और सीमेंट के दाम भी गिरेंगे।
पंखे, लाइटिंग, वॉटर हीटर्स, एयर कूलर्स आदि इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स भी सस्ते होंगे।
लेकिन ये सभी महंगी हो जाएंगी
तंबाकू पर मौजूदा एक्साइज ड्यूटी के मुकाबले जीएसटी की दर ज्यादा होगी जिससे सिगरेट के दाम बढ़ेंगे।
मौजूदा 14% सर्विस टैक्स की जगह 18% जीएसटी की वजह से मोबाइल फोन से बात करना महंगा हो जाएगा।
टेक्सटाइल और ब्रैंडेड जूलरी भी महंगी हो सकती है।
खास बातें
जीएसटी टैक्स रेट अभी तय नहीं हुआ है। इसका निर्धारण जीएसटी काउंसिल करेगी।
जीएसटी काउंसिल का गठन 60 दिनों के अंदर हो जाना है।
वित्त मंत्रालय की एक समिति ने जीएसटी के लिए स्टैंडर्ड रेट 18% रखने का सुझाव दिया है। समिति के मुताबिक, कम-से-कम दर 12 पर्सेंट जबकि उच्चतम 40 प्रतिशत तक हो सकती है।
ऐल्कॉहॉल और पेट्रोलियम समेत कुछ प्रॉडक्ट्स जीएसटी के दायरे में नहीं आएंगे।
रेस्ट्रॉन्ट्स, मोबाइल से बातचीत समेत ज्यादातर सर्विसेज महंगी पड़ सकती है।
लागू होने से पहले की कवायद
1. संसद से पास संविधान संशोधन बिल को राष्ट्रपति से सहमति दिलानी होगी। फिर कम-से-कम आधे राज्यों की भी रजामंदी चाहिए होगी।
2. प्रेजिडेंट जीएसटी काउंसिल का गठन करेंगे। वित्त मंत्री इस सलाहकार संस्था के अध्यक्ष होंगे जबकि राज्य सरकारों के नॉमिनी भी इसमें शामिल होंगे।
3. संशोधन बिल से अलग दो जीएसटी बिल संसद से पास करवाने होंगे।
4. हरेक राज्य विधानसभा को अपने यहां जीएसटी कानून पास करना होगा।
जीएसटी से कैसे बदल जाएगा देश का माहौल?
घटेगी टैक्सेज की तादाद: जीएसटी में कम-से-कम 11 सेंट्रल और स्टेट टैक्सेज समाहित हो जाएंगे।
कम टैक्स: कुछ इनडायरेक्ट टैक्स बढ़ेंगे जबकि ज्यादातर में कटौती होगी।
एक भारत: पूरा देश एक मार्केट हो जाएगा जहां के तमाम राज्यों के बीच सामानों की बेरोकटोक ढुलाई हो पाएगी।
आसान होगा कारोबार: टैक्स कम्प्लायंस तेज और आसान तो होगा ही। इस पर लागत भी कम आएगी।
समृद्ध होगा सरकारी खजाना: कुछ टैक्स में छूट और कुछ के पूरी तरह खात्मे की वजह से टैक्स कलेक्शन का दायरा बढ़ेगा और सरकारी खजाने में आमदनी बढ़ेगी। गरीब राज्यों को ज्यादा आमदनी होगी।