कहने को तो बिजनौर छोटा सा जिला है। जिले में प्रतिदिन लगभग छह लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। इसके बावजूद जिले में हर साल करीब दूध के लगभग 80 प्रतिशत नमूने अधोमानक निकल रहे हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की ओर से बार-बार छापेमारी करने के बावजूद जिले में बड़े पैमाने पर दूध में मिलावट का खेल चल रहा है।
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी जेपी सिंह के अनुसार इस साल दूध के लगभग 40 नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। इससे पूर्व दूध के लगभग 55 नमूने अवमानक पाये गए हैं। हर साल सैकड़ों दुग्ध कारोबारियों के यहां से दूध की सैंपलिंग की जाती है। प्रयोगशाला से रिपोर्ट आने के बाद अवमानक दूध निकलने पर कई दूध बेचने वालों पर जुर्माना भी होता है, इसके बावजूद कई दुग्ध कारोबारी अपनी आदतों में सुधार लाने को तैयार नहीं हैं। वे जरा से लालच के चक्कर में लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं, जो बिल्कुल गलत है। उधर, चिकित्सकों का कहना है कि मिलावटयुक्त दूध का लगातार सेवन कैंसर की बीमारी पैदा कर सकता है। चिकित्सकों ने देखभाल कर दूध का सेवन करने की बात कही है।
मिलावटी दूध से हो सकती हैं कई बीमारियां
जिला अस्पताल के फिजीशियन राधेश्याम वर्मा का कहना है कि आमतौर पर देखा जाता है कि दूध की मात्रा बढ़ाने के अधिकांश कारोबारी दूध में डिटर्जेंट पाउडर, यूरिया, ऑयल, सिंघाड़ा पाउडर आदि केमिकल मिलाकर दूध को गाढ़ा बनाने और उसकी मात्रा में बढ़ोतरी करने का प्रयास करते हैं। लेकिन थोड़े से लालच के चक्कर में ऐसा करना बिल्कुल गलत है। उन्होंने बताया कि ऐसे दूध का सेवन करने से आंतों में संक्रमण, एसीडीटी बनना, अल्सर, भूख कम लगना आदि समस्याएं होने लगती हैं। यदि लंबे समय तक ऐसे दूध का इस्तेमाल किया जाए तो इससे कैंसर भी हो सकता है।
ऑक्सीटोक्सिन इंजेक्शन है हानिकारक
जिला अस्पताल के सीएमएस एवं फिजीशियन सुखवीर सिंह के अनुसार कुछ लोग गाय और भैंस दूहने से पूर्व ऑक्सीटोक्सिन इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं, जो बिल्कुल गलत है। इससे दूध तो आसानी से मिल जाता है, लेकिन परिणाम बेहद ही खराब निकलते हैं। उन्होंने बताया कि यह इंजेक्शन पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन चोरीछिपे कुछ लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि यह इंजेक्शन केवल गाय, भैंसों तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि मानव शरीर पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है। इससे हार्मोन्स गड़बड़ा जाते हैं। पुरुषों में शुक्राणु और महिलाओं में अंडाणु बनने की गति को भी काफी धीमा कर देता है। ऑक्सीटोक्सिन इंजेक्शन के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
ये हैं दूध के मानक
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी जेपी सिंह बताते हैं कि भैंस के दूध में छह प्रतिशत फैट और नौ प्रतिशत सॉलिड नॉट फैट होना चाहिए, जबकि गाय के दूध के मानक चार प्रतिशत फैट और लगभग साढ़े आठ प्रतिशत सॉलिड नॉट फैट निर्धारित हैं। इसके अलावा भैंस और गाय के मिश्रित दूध में मानक के अनुसार चार प्रतिशत फैट और करीब साढ़े आठ प्रतिशत एसएनएफ होना चाहिए।
ऐसे करें मिलावटी दूध की पहचान
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि दूध की शुद्धता को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि दूध को चिकने फर्श पर डालने पर लाइन बनती चली जाएगी। यदि मिलावट होगी तो लाइन नहीं बनेगी। इसके अलावा यदि दूध शुद्ध होगा तो पीने की इच्छा करेगी अन्यथा उसमें से अजीब तरह की स्मैल आएगी।