जागरूकता की इसी मुहिम में जिदगी के 50 साल खपा चुके डाक्टर अख्तर। संसाधनों का टोटा है, लिहाजा कई बार चॉक खरीदने के भी पैसे नहीं होते। ऐसे में वह इमारतों से निकले पुराने प्लास्टर आफ पेरिस (पीओपी) के टुकड़ों को इकट्ठा कर चॉक की तरह इस्तेमाल करते हैं।
ग्राम खारी निवासी समाजसेवी डा. अख्तर हुसैन अंसारी की हर सुबह जागरूकता के संदेश देने से शुरू होती है। वह चॉक लेकर निकल पड़ते हैं और दीवार लेखन में जुट जाते हैं। बीए पास डा. अख्तर हुसैन ने आयुर्वेद की डिग्री ले रखी है। युवावस्था में उन्होंने लोगों को नशे के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया। दीवारों पर नशे के नुकसान लिखने लगे। एक दिन पोलियो का मरीज देखा तो इस बीमारी के समूल विनाश के लिए दीवारों पर संदेश लिखने में जुट गए। 2009 तक जिले में पोलियो का अंतिम केस मिलने तक उनका जागरूकता अभियान जारी रहा।
इनके प्रति कर रहे जागरूक
67 वर्षीय डा. अख्तर पोलियो, नशा, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जल संरक्षण, पौधरोपण से जुड़े जागरूकता संदेश दीवारों पर लिखते हैं।
खुद उखाड़ते हैं पैमाड़ के पौधे
कई बार बच्चे खेल-खेल में पैमाड़ की जहरीली फली खा लेते हैं। इसे खाने से कई बच्चों की मौत भी हो चुकी है। इससे चिंतित डा. हुसैन ने लोगों को पैमाड़ के प्रति जागरूक करना शुरू किया। पैमाड़ के पौधों को उखाड़ने का भी अभियान चलाया। पौधों को उखाड़ने के बाद गड्ढे में दबाते हैं। दीवारों पर भी इसका लेखन कर लोगों से बच्चों को पैमाड़ की फलियों से दूर रखने का आग्रह किया।
विद्यालयों में पढ़ाते स्वच्छता का पाठ
वह विद्यालयों में प्रार्थना स्थल पर बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हैं। मौसमी बीमारियों के प्रति भी जागरूक करते हैं। आसपास सफाई रखने का संदेश देते है। वह अपने पास हमेशा नेल कटर रखते है। यदि किसी बच्चे के नाखून बढ़े देखते हैं तो तुरंत काटने में जुट जाते हैं।
डीएम समेत कई संस्थाओं ने किया सम्मानित
डा. अख्तर की निस्वार्थ सेवा को देख कर तत्कालीन जिलाधिकारी, रोटरी क्लब की ओर से उन्हें सम्मानित किया। इसके अलावा दर्जनों समाजसेवी संस्थाएं भी सम्मानित कर चुकी हैं