Monday, 15 July 2019 01:27

ये हैं यूपी के प्राइमरी स्कूल्स

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primary school in bijnor education

शासन भले ही शिक्षा में सौंदर्यीकरण और बच्चों के लिए अच्छी बैठक व्यवस्था करने का दावा करता है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इसका ताजा उदाहरण है बिजनौर जिले का एक प्राथमिक विद्यालय। जिले का प्राथमिक विद्यालय इच्छावाला आज भी बदहाल झोपड़ी में चल रहा है।

संसाधनों के अभाव में चल रहे इस स्कूल के पास न अपना पक्का भवन है, न ही शौचालय बना है। भारी भरकम ग्रांट होने के बाद स्कूल की जमीन की चाहरदीवारी भी नहीं हो पाई है। स्कूल में पंजीकृत 58 छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका है।

ब्लॉक मोहम्मदपुर देवमल का प्राथमिक विद्यालय इच्छावाला आज भी फूंस की बनी बदहाल झोंपड़ी में चलाने को शिक्षक मजबूर हैं। इस विद्यालय में एक शिक्षक तैनात है। पिछले पांच साल से इच्छावाला गांव में यह स्कूल चल रहा है। शिक्षा विभाग के अफसर इस स्कूल में प्रतिवर्ष पहुंचते जरूर हैं पर बच्चों के लिए आवश्यक साधन नहीं जुटाए जाते। जबकि शिक्षा विभाग में हर वर्ष भारी भरकम शिक्षा का बजट रहता है।

आला अफसरों की सख्ती के चलते स्कूल में एक शिक्षक जरूर तैनात किया गया है। ग्राम प्रधान द्वारा विगत वर्ष बच्चों के पेयजल के लिए स्कूल के पास एक हैंडपंप लगवाया गया था। पर स्कूल में शौचालय तक नहीं बना है। जबकि शिक्षा विभाग के अलावा स्कूलों में पंचायत राज विभाग द्वारा भी शौचालयों का निर्माण कराया गया। इच्छावाला स्कूल की हर स्तर पर उपेक्षा की जा रही है।

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स्कूल के शिक्षक पुष्पेंद्र की माने तो स्कूल में 58 पंजीकृत छात्र हैं। गांव के बच्चों में पढ़ने की काफी उत्सुकता है। स्कूल का समय होते ही बच्चे स्कूल पहुंच जाते हैं। पर स्कूल में बैठने की सुविधा न होने से भारी परेशानी होती है। झोंपडी में चल रहे स्कूल की हालत ग्रीष्मकालीन अवकाश में और भी बदतर हो गई है। स्कूल की झोपड़ी काफी टूट गई है।

अफसर जागते तो होती कायापलट

गांव इच्छावाला में बदहाल झोपड़ी में चल रहे सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रति यदि शिक्षा विभाग के अफसर सजग होते तो स्कूल की काया पलट हो जाती। प्रतिवर्ष स्कूलों के सुंदरीकरण, अतिरिक्त कक्षा कक्षों के निर्माण के लिए काफी धनराशि आती है।

वित्तीय वर्ष 2018-19 में बेसिक शिक्षा विभाग में स्कूलों की चाहरदीवारी के लिए 98 लाख रुपये की ग्रांट आई थी। इसके अलावा शौचालयों के निर्माण के लिए भी विभाग को ग्रांट मिली थी। लेकिन विभाग के अफसरों ने इच्छावाला स्कूल की कायापलट कराने में कोई रुचि नहीं ली।

स्कूल के बच्चे खुले में जाते हैं शौच

इच्छावाला प्राथमिक विद्यालय में शौचालय नहीं होने से स्कूल के बच्चों को खुले में शौचालय करने को मजबूर हैं। पांच साल में इस गांव के स्कूल में बेसिक शिक्षा विभाग एक शौचालय भी नहीं बना सका है। जबकि पंचायत राज विभाग द्वारा भी गांवों में काफी शौचालय बनवाए गए हैं। यदि एक शौचालय स्कूल में भी बन जाता तो स्कूली बच्चों को मलमूत्र के लिए खुले में न जाना पड़ता।

इच्छावाला स्कूल को दिखवाएंगे : सीडीओ

डीओ प्रवीण मिश्र ने बताया कि गांव इच्छावाला के स्कूल का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। स्कूल में बच्चों को सुविधा मुहैया कराई जाएगी। वह इस मामले को दिखवाएंगे। दूसरी ओर, बीएसए महेश चंद्र ने बताया कि विगत वर्ष उन्होंने इच्छावाला स्कूल का निरीक्षण किया था। बरसात के दिनों में इस गांव में पहुंचना मुश्किल है। गांव में भी पक्के मकान नहीं है।

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Read 1562 times Last modified on Friday, 19 July 2019 20:26

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