19 अप्रैल को दिल्ली पौड़ी हाईवे पर बैराज के पुल के सड़क के डेढ़ मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद पुल पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। छोटे वाहनों को ही पुल से गुजरने की इजाजत दी गई थी। लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही थी। प्रशासन ने लोगों की दिक्कत को देखते हुए रोडवेज की बसें बैराज के पुल तक चालू करा दी थी। पुल से ई-रिक्शा के सहारे या पैदल पुल पार करके यात्री जाने लगे थे। पुल के पार दूसरी ओर उन्हें दूसरी रोडवेज की बस मिल जाती थी। उसमें बैठ कर वह अपने गंतव्य को रवाना हो जाते। यह पुल मेरठ, दिल्ली, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, हरियाणा, पंजाब को जोड़ता है।
एनएच मेरठ पर पुल की टूटी सड़क की मरम्मत कराने की जिम्मेदारी थी। सड़क की मरम्मत का टेंडर नहीं होने के कारण कई दिनों तक निर्माण कार्य शुरू करने का मामला अधर में लटका रहा। जून के प्रथम सप्ताह में 36 लाख रुपये का सड़क का टेंडर हुआ। इसके बाद दिल्ली की निर्माण कंपनी ने सड़क के एक हिस्से को बनाने का काम जोर से शुरू किया। इस हिस्से के बनने के बाद सड़क के दूसरे हिस्से को तोड़कर बनाया गया। अफसरों ने 12 जुलाई को पुल से बड़े वाहन निकालने की घोषणा की। कहा कि पहले सड़क की पूरी तरह से जांच पड़ताल की जाएगी इसके बाद सड़क से वाहन निकाले जाएंगे। शुक्रवार की शाम अफसरों की टीम ने सड़क का ट्रायल किया। ट्रायल में सबकुछ पास होने पर शनिवार से बैराज पुल से बड़े वाहनों को निकालने की हरी झंडी दे दी गई । एनएच मेरठ के प्रोजेक्ट अभियंता आयुष चौधरी के मुताबिक मरम्मत की गई सड़क का ट्रायल हो गया है। शनिवार की सुबह से पुल से बड़े वाहन निकाले जाएंगे। अब वाहन निकालने में कोई दिक्कत नहीं होगी। पहले की तरह पुल पर वाहन दौडे़ंगे।
कांवड़ यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है बैराज का पुल
गंगा बैराज का पुल श्रावण मास की कांवड़ यात्रा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस पुल से दिल्ली, हरियाणा, गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों के शिव भक्त बड़े व छोटे वाहनों से कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं। प्रशासन कांवड़ यात्रा से पहले पुल से बडे़ वाहन निकालने की कवायद में जुटा था। इसलिए सड़क के दूसरे हिस्से की मरम्मत का काम तेजी से किया गया। काम पूरा होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली। अब कांवड़ यात्रा के दौरान भी छोटे व बड़े वाहनों को पुल से निकालने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।