चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती ने 18 जुलाई 2017 को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वर्तमान में वह न खुद किसी भी सदन की सदस्य हैं और न ही लोकसभा में बसपा का कोई सांसद है। सपा से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरने वाली मायावती ने खुद भी लोकसभा का चुनाव लडऩे का फैसला किया है। नगीना सुरक्षित संसदीय सीट से बसपा सुप्रीमो का चुनाव लडऩा तय माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मायावती पहली बार 1989 में बिजनौर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गई थी। वैसे तो बाद में वह राज्यसभा सदस्य बनी लेकिन मायावती अकबरपुर संसदीय सीट से भी सांसद रही हैं। बसपा प्रमुख विधानसभा और विधान परिषद की भी सदस्य रह चुकी हैं।
परिसीमन के बाद अकबरपुर और बिजनौर सुरक्षित सीट नहीं रह गई हैं इसलिए सूत्रों का कहना है कि बसपा प्रमुख नगीना सुरक्षित सीट से अबकी चुनाव लड़ेंगी। जानकारों का कहना है कि पूर्व की बिजनौर सीट का लगभग 60 फीसद हिस्सा अब नगीना सीट में ही आता है। पूर्व के चुनावी नतीजे को देखते हुए नगीना सीट को मायावती के लिए पूरी तरह से सुरक्षित भी माना जा रहा है।
लगभग 15 लाख वोटर वाली इस सीट पर चार लाख से ज्यादा जहां मुस्लिम मतदाता है वहीं इससे कहीं अधिक जाटव व दलित वोटर भी हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा के यशवंत सिंह 39 फीसद वोट हासिल कर सांसद चुने गए थे। गौर करने की बात यह है कि यहां 29 फीसद वोट के साथ सपा दूसरे और 26 फीसद वोट लेकर बसपा तीसरे पायदान पर रही थी।
वैसे तो रनरअप (दूसरे स्थान पर) होने के कारण सपा-बसपा गठबंधन में इस सीट पर समाजवादी पार्टी की स्वाभाविक दावेदारी मानी जा रही थी लेकिन मायावती के यहां से लडऩे की इच्छा जताने पर सपा ने गठबंधन में इस सीट को बसपा के लिए छोड़ दिया है। इसके एवज में हाथरस सुरक्षित संसदीय सीट पर रनरअप रहने के बावजूद बसपा ने सपा के लिए छोडऩे का फैसला किया है।
गौरतलब है कि पिछले चुनाव में यहां से भी जीतने वाली भाजपा को जहां 51.87 फीसद वोट मिले थे वहीं बसपा को 20.77 फीसद, सपा को 17 व रालोद को 8.2 फीसद वोट मिले थे।