क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा दीपावली पर्व पर वायु प्रदूषण का आंकलन किया गया था। समीक्षा में 289.4 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर क्षेत्र में वायु प्रदूषण मिला था। जहरीली गैसों के उत्सर्जन से लोगों को काफी घुटन महसूस हुई थी। प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने एक-दो दिन में स्थिति सामान्य होने की बात कही थी। कुछ दिनों के लिए सामान्य हुई स्थिति का खामियाजा जल्द ही लोगों को भुगतना पड़ सकता है। दरअसल आगामी एक से डेढ़ सप्ताह में कहीं-कहीं बारिश होने की संभावना है। जनपद एवं आसपास के क्षेत्र में संचालित औद्योगिक इकाइयों से रोजाना निकलने वाले धुंए और जहरीली गैसों में आतिशबाजी ने काफी इजाफा किया है। वायुमंडल में घुले जहरीले धूल के कणों और जल वाष्प के बारिश के साथ नीचे आने से यह स्थिति लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
इन्होंने कहा..
"जिन जनपदों में औद्योगिक इकाइयां ज्यादा हैं, धुंए और जहरीली गैसों का उत्सर्जन ज्यादा होता है, वहां ठंड बढ़ने के साथ सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों की बीमारियों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। बच्चे और उम्रदराज लोग अस्थमा के ज्यादा शिकार हो सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग अपने दायित्वों के प्रति तत्पर है, लेकिन लोगों को भी चाहिए कि वे एहतियात बरतें।" - डा.राकेश मित्तल, सीएमओ बिजनौर
"बारिश औसतन 15 से 20 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद बादलों से होती है, जबकि विभिन्न कारणों से उत्सर्जित जहरीली गैसें करीब 80 से 90 हजार फीट की ऊंचाई पर वायुमंडल में पहुंच जाती हैं। हालांकि इनका मानव स्वास्थ्य पर तुरंत दुष्प्रभाव नजर नहीं आता, लेकिन ये गैसें ओजोन की परत को नुकसान पहुंचा रही हैं। जहरीली गैसों में घुले धूल के कण कम ऊंचाई पर रह जाते हैं। ये जहरीले कण और जलवाष्प अम्लीय वर्षा के रूप में जमीन पर आकर मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं।" - डा.एलएस बिष्ट, भूगोलविद, नजीबाबाद
ये हैं जहरीली गैसें
मिथेन, इथेन, प्रोथेन, कार्बन डाइ ऑक्साइड, क्लोरीन और फ्लोरीन गैसों में घुले जहरीले धूल के कारण वायुमंडल में मौजूद नमी के साथ नीचे ही रुक जाते हैं। जो बारिश होने पर जमीन पर आकर स्वास्थ्य अवरोध पैदा करते हैं।
मौसम विभाग लखनऊ की मानें तो अभी फॉग शुरू हुआ है। धीरे-धीरे कोहरा और ठंड बढ़ने के साथ समस्या बढ़ सकती है। फिलहाल अम्लीय वर्षा की संभावना नहीं है।