नगीना क्षेत्र में कताई मिल स्थित है। 2001 में मिल पर ताले लग गए थे। मिल को ताले लगने से हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए थे। तभी से कताई मिल का संचालन फिर से करने की मांग चलती आ रही है। कताई मिल हर चुनाव में चुनावी मुद्दा बनती है। मिल चलाने के लिए सभी नेता वादे करते थे, पर इसे पूरा नहीं किया गया। शासन ने दो माह पहले प्रदेश में बंद पड़ी सभी कताई मिलों के बारे में ग्राउंड रिपोर्ट मांगी थी। मिल की मशीनों, उसकी जमीन आदि के बारे में पूछा गया था। अब नगीना स्थित कताई मिल को एक जिला एक उत्पाद योजना के अंतर्गत काष्ठ कला उद्योग से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है। कताई चीनी मिलों पर कुछ व्यापारियों आदि की एक करोड़ रुपये की देनदारी है। इसके अलावा कुछ श्रमिकों का रुपया भी बकाया है। प्रशासन ने इस देनदारी का भुगतान करने की मांग की है। अगर ऐसा हुआ तो कताई मिल में मशीन आदि स्थापित करके यहां काष्ठ कला उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा।
कताई मिल में सूत बनाने का काम होता था। यहां तैयार हुआ सूत पूरे देश तथा विदेशों में भी सप्लाई होता था। नगीना की कताई मिल में बने सूत से कपड़े बनते थे। इसकी काफी डिमांड थी। कताई मिल से नगीना क्षेत्र में काफी रोजगार मिला था। इसमें डेढ़ हजार तक का स्टाफ व श्रमिक ( काम करते थे। मिल के चक्के घूमने से क्षेत्र के परिवारों के घरों में चूल्हे जलते थे। मिल को घाटा होने पर 2001 में इसे बंद कर दिया गया था। मिल में करीब एक हजार कर्मचारी दूसरे जिलों से थे। वे भी मिल बंद होने के साथ ही यहां से चले गए। इससे नगीना के बाजार पर भी असर पड़ा।
जिले का काष्ठ कला उद्योग विश्व भर में विख्यात है। यहां बने लकड़ी के सुंदर आइटम विदेशों में भी भेजे जाते हैं। हजारों श्रमिकों को काष्ठ कला से रोजगार मिलता है। काष्ठ कला उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जिले में लैंड बैंक भी खोले जा रहे हैं। यहां पर उद्यमियों को उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन आवंटित की जाएगी। उपायुक्त उद्योग अमिता वर्मा के अनुसार कताई मिल का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शासन के निर्देशानुसार ही योजना तैयार होगी।