Wednesday, 20 December 2017 11:54

बिजनौर - अस्पताल में पांच नवजात बच्चों की मौत

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bijnor children dies

बिजनौर में जिला महिला अस्पताल में दो दिन में पांच बच्चों की मौत से खलबली मच गई है। अप्रशिक्षित स्टाफ के द्वारा डिलीवरी की वजह से आंख खोलते ही कुछ घंटे बाद उनकी मौत हो गई।

पीड़ित लोगों ने अस्पताल में हंगामा कर चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि रात में महिला चिकित्सक डिलीवरी करने नहीं आतीं, अप्रशिक्षित स्टाफ के हाथों डिलीवरी की जाती है। उधर, सीएमएस ने सभी मौत को नार्मल बताया है। हालांकि अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है। परिजन हंगामा कर लौट गए।

शहर कोतवाली क्षेत्र के गांव काजीवाला निवासी साजिद की 26 साल की पत्नी रूबीना को शनिवार को प्रसव पीड़ा होने पर जिला महिला चिकित्सालय में दाखिल कराया गया। रूबीना ने पुत्र को जन्म दिया। चांदपुर क्षेत्र के गांव गोयली निवासी नवील की 25 साल की पत्नी नाजिमा ने सोमवार की रात पुत्री को जन्म दिया। हीमपुर थाना क्षेत्र कें गांव जलालपुर हसना निवासी रोहित की 26 साल की पत्नी अंशुल रविवार की रात भर्ती हुई और सोमवार की रात उनके भी पुत्र पैदा हुआ। शहर कोतवाली क्षेत्र के गांव मंडावली सैदू जगमेश की पत्नी किरन को भी पुत्र पैदा हुआ। सोमवार को एक अन्य महिला ने भी बच्चे को जन्म दिया। चार नवजात की मौत जन्म के कुछ घंटे बाद ही हो गई, जबकि किरन के पुत्र की मौत मंगलवार सुबह हुई। हालांकि सोमवार को नगीना थाने के गांव पुरैनी निवासी रिंकू की पत्नी मंदोदरी व एक अन्य महिला ने भी बच्चो को जन्म दिया। दोनों बच्चों की हालत खराब होने पर उन्हें निजी चिकित्सक के यहां दाखिल कराया गया है। दो दिन में पांच नवजात की मौत हो ने पर परिजन भड़क गए। परिजनों ने महिला अस्पताल में स्टाफ व चिकित्सकों पर लापरवाही बरतने और रुपये मांगने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। पीड़ितों का कहना है कि रात में महिला चिकित्सक डिलीवरी करने नहीं आती हैं, अप्रशिक्षित स्टाफ से डिलीवरी करा रही है। इस वजह से ही बच्चों की मौत हो रही है। अस्पताल में करीब एक घंटे तक परिजन हंगामा करते रहे। हंगामा करने के बाद परिजन घरों को चले गए।
उधर, राष्ट्रीय लोकदल के जिलाध्यक्ष अशोक चौधरी जिला संयुक्त चिकित्सालय बिजनौर में हुई पांच नवजात शिशुओं की मौत पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इसके विरोध में 20 दिसंबर को जिला मुख्यालय पर डीएम को ज्ञापन दिया जाएगा।

पेट में तीन बच्चो का मूवमेंट था कम, दो की मां थी कमजोर
सीएमएस डा. आभा वर्मा के अनुसार महिला अस्पताल में भर्ती रूबीना का अल्ट्रासाउंड होने के बाद नार्मल डिलीवरी हुई थी। महिला चिकित्सकों की माने तो रूबीना के बच्चे की पेट में ही मौत हो चुकी थी। नाजिमा, किरन व एक अन्य महिला को भी नार्मल डिलीवरी हुई। अंशुल को बड़े़ आपरेशन से बेटा हुआ था। सीएमएस डा. वर्मा के मुताबिक किरन व रूबीना व अन्य महिला के बच्चे पेट में कम हरकत कर रहे थे, जबकि अंशुल व नाजिमा खुद कमजोर थीं। परिजनों को इस बारे में पहले ही बता दिया गया था।

20 घटे में हुई थी 19 डिलीवरी
महिला अस्पताल में सोमवार की दोपहर दो बजे से मंगलवार की सुबह आठ बजे तक 11 नार्मल व आठ आपरेशन से डिलीवरी हुई। 20 घंटो में पांच नवजात शिशु की जान चली गई। दो को निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

छीन ली पांच परिवारों की खुशियां
चिकित्सकों को भगवान कहा जाता है लेकिन धरती के भगवान की लापरवाही के कारण पांच परिवारों की खुशियां मातम में बदल गई है। जिले में अभी अल्ट्रासाउंड में भ्रूण परीक्षण का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि चिकित्सकों की लापरवाही ने पांच परिवारों की खुशियां मातम दी। जिला महिला अस्पताल में पांच नवजात शिशुओं की मौत से जिले में शोक छा गया है।
डाक्टरी को कभी सेवाभाव का कार्य माना जाता था, लेकिन अब चिकित्सकों ने इसको रुपया कमाने का जरिया बना लिया है। चिकित्सक अब सेवाभाव से नही बल्कि प्रोफेशन समझकर डाक्टरी का कार्य करते हैं। मरीजों की सेवा करने पर चिकित्सकों को धरती का भगवान कहा जाता था, लेकिन अब धरती के भगवान की जिंदगी छीन रहे हैं। चिकित्सक अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भ्रूण परीक्षण करते है तो कभी अपने कार्यों में लापरवाही बरतते हैं। नतीजतन दुनिया में आने से पहले की बच्चे मौत की मुंह में चले जाते है। हालांकि शासन शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए कई योजनाएं भी चला रखी है। मंगलवार को भी जिला महिला अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही से पांच नवजात शिशुओं की मौत हो गई और यह खबर जिले में आग की तरह फैल गई। जिला महिला अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा अप्रशिक्षित स्टाफ से गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी करा दी गई। इस लापरवाही के कारण पांच नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इससे शिशुओं के परिवारों में कोहराम मच गया और खुशियां मातम में बदल गई। पूरे जिले में शिशुओं की मौत से शोक छा गया। चिकित्सकों की लापरवाही के कारण रालोद कार्यकर्ता 20 दिसंबर को डीएम को ज्ञापन सौंपकर लापरवाही करने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग करेंगे। परिजनों का कहना है कि अब धरती का भगवान बिना रुपये के काम नहीं करता है।

हृ़दय विदारक है घटना : अशोक निर्दोष
जिले के शिक्षाविद अशोक निर्दोष ने बताया कि धरती पर जिन लोगों पर जान बचाने का दायित्व है, धरती पर भगवान के रूप में पूजा जाता है उनकी लापरवाही से पांच नवजात शिशुओं की जान जाना दिल का हिला देने वाली घटना है। प्रशासन को निष्पक्ष और गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करनी चाहिए।

घटना से स्वास्थ्य मंत्री से अवगत कराए जाएगा : राजीव सिसौदिया
भाजपा के जिलाध्यक्ष राजीव सिसौदिया ने बताया मीडिया के माध्यम से उन्हें मालूम हुआ है कि जिला अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही के कारण पांच नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। पांच नवजात शिशुओं की मौत होना काफी गंभीर मामला है। वह सीएमओ से पूरे मामले की जानकारी कर स्वास्थ्य मंत्री से अवगत कराएंगे।

प्रोफेशनल हो गए हैं चिकित्सक : रूकसाना परवीन
बिजनौर पालिका की चेयरपर्सन रुकसाना परवीन ने बताया कि चिकित्सकों ने सेवाभाव के कार्य को प्रोफेशन बना दिया है। पहले चिकित्सक मरीज की सेवा करते थे और अब रुपये के लिए कार्य करते हैं। घटना में लापरवाही करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

महिला अस्पताल में नहीं बाल रोग विशेषज्ञ
बिजनौर में जिला महिला चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण नवजात को परेशानी होने पर प्राइवेट अस्पतालों में रेफर किया जाता है। प्रसव के बाद पैदा होने वाले बच्चों की सुरक्षा के अस्पताल में पुख्ता इंतजाम तक नहीं है। अस्पताल में मौजूद चिकित्सक भी जच्चा-बच्चा को अप्रशिक्षित स्टाफ के हाथों सौंप देते हैं। चिकित्सक की कमी के कारण अस्पताल में रखी बेबी वार्मर मशीन भी शोपिस बन गई है।
जिला महिला अस्पताल में तैनात रहे बाल रोग विशेषज्ञ डा.बाबू सिंह काफी दिनों पहले सेवानिवृत्त हो गए थे। इसके बाद वह संविदा पर अस्पताल में कार्य कर रहे थे। अक्तूबर 2017 में वह भी काम छोड़कर चले गए। इसके कारण जिला महिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ की कमी हो गई। चिकित्सक नहीं होने के कारण नवजात शिशुओं को परेशानी होने पर परिजनों को प्राइवेट चिकित्सक के यहां ले जाने की सलाह दी जाती है। परिजन भी बच्चों की सुरक्षा के लिए प्राइवेट चिकित्सक के यहां ले जाते हैं, जहां उनके बच्चे को दो-दो सप्ताह तक मशीन में भर्ती रखा जाता है और उनके हाथों में लंबा चौड़ा बिल थमा दिया जाता है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के चिकित्सकों ने प्राइवेट चिकित्सकों से सेटिंग कर रखी है। अस्पताल से उनके बच्चों को रेफर कर दिया जाता है। बच्चे की जान बचाने के लिए मजबूरी में उन्हें प्राइवेट चिकित्सक के यहां भागना पड़ता है। चिकित्सक तो कह देते हैं कि अगर बच्चे को कुछ हुआ तो वह जिम्मेदार नहीं होंगे। परिजनों का आरोप है कि प्रत्येक डिलीवरी पर परिजनों से दो हजार रुपये लिए जाते हैं।

नहीं चलाते बेबी वार्मर मशीन
जिला महिला अस्पताल में तीन बेबी वार्मर मशीन हैं। एक मशीन ऑपरेशन कक्ष व दो मशीन स्टाफ के कक्ष में रखी है। बच्चे को ठंड लगने, पीलिया होने व अन्य परेशानी होने पर बेबी वार्मर मशीन में रखा जाता है। जिला महिला अस्पताल के स्टाफ का कहना है कि बाल रोग विशेषज्ञ नहीं होने से बेबी वार्मर मशीन नहीं चलती है। बच्चों कोनिजी चिकित्सक के यहां लेकर चले जाते हैं।

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