बता दें कि करीब छह दशक पूर्व नगीना की जलेबी और पूरी प्रसिद्ध थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी यहां जलेबी और पूरी का स्वाद लिया था। बाद में लाला जगदीश प्रसाद और उनके छोटे भाई तुलाराम ने नगीना की रेलवे स्टेशन की कैंटीन पर गरम गुलाब जामुन बनाए। इसे रसगुल्ला के नाम से प्रसिद्धि मिली है। इस मिठाई को तैयार कर ट्रेन यात्रियों को बेचा। तब से अब तक इस रसगुल्ले की मिठास और जायके में कोई कमी नहीं आई। यह मिठाई इतनी प्रसिद्ध हुई कि नगीना की पहचान बन गई। उत्तराखंड के पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के साथ ही शादी-विवाह के कार्यक्रमों में भी रसगुल्ले की काफी मांग रहती है।
अब नोटबंदी की घोषणा के बाद से रसगुल्ले की बिक्री पर काफी असर पड़ा है। सम्राट रेस्टोरेंट के स्वामी, संजीव गुप्ता और मोनू गुप्ता का कहना है कि नए नोट न होने के कारण लोगों को रसगुल्ले खरीदने में परेशानी हो रही है। रेलवे कैंटीन के स्वामी विकास गुप्ता भी कहते हैं कि जब तक लोगों के पास नई करेंसी की उपलब्धता नहीं बढ़ेगी। तब तक यह दिक्कत रहेगी। तुलाराम रेस्टोरेंट के स्वामी मोहित गुप्ता, रोहित गुप्ता और तुलाराम मिष्ठान भंडार स्वामी का कहना है कि अब केवल शादी-ब्याह वाले ग्राहकों में ही रसगुल्ले की अधिक खरीदारी हो रही है।