नगीना तहसील में गुरुवार को उस समय सनसनी फैल गई जब एक पीड़ित परिवार ने तहसीलदार पर ज़मीन के फर्जी दाखिल-खारिज का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब एक युवक ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर आत्मदाह का प्रयास किया।

सरायमीर मोहल्ले के रहने वाले आदिल अब्बास, शाहनवाज़ हैदर, कमर हैदर और अली अब्बास अपने परिवार की महिलाओं और छोटे बच्चों के साथ तहसील परिसर पहुंचे। उनका आरोप था कि उनकी बैनामाशुदा ज़मीन को गलत तरीके से दूसरे के नाम दाखिल-खारिज कर दिया गया, और इसके पीछे एक गहरी साज़िश और भ्रष्टाचार छिपा है।

रिश्वत लेकर भी नहीं मिला न्याय!

परिवार ने आरोप लगाया कि तहसीलदार और नायब तहसीलदार ने पेशकार के माध्यम से 70-70 हजार रुपये रिश्वत की मांग की, जो उन्होंने दी भी, फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिला। रिश्वतखोरी के इस आरोप ने सरकारी तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

हंगामे के बीच अली अब्बास ने अचानक पेट्रोल निकालकर खुद पर डाल लिया और आत्मदाह का प्रयास किया। वहां मौजूद लोगों ने किसी तरह उसे रोका, लेकिन पूरा परिसर दहशत में आ गया।

न्याय की जगह जेल!

हैरानी की बात तो यह रही कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को ही पुलिस ने पकड़कर थाने ले गई। शांति भंग का आरोप लगाकर अली अब्बास, गुलरेज़ और दो महिलाओं को जेल भेज दिया गया, जबकि एक महिला को जमानत मिल गई।

क्या ये है "न्याय"?

तहसीलदार आशीष सक्सेना ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने नियमानुसार ज़मीन का दाखिल-खारिज किया है और फैसले में कोई गड़बड़ी नहीं है। वहीं, नायब तहसीलदार अजब सिंह ने भी खुद को निर्दोष बताया और कहा कि मामला पहले ही तहसीलदार कोर्ट को भेज दिया गया था।