बाद में देर शाम वाहनों का आवागमन पूरी तरह से रोक दिया गया। अब दिल्ली से मेरठ होकर पौड़ी जाने वाले ट्रैफिक को गजरौला चांदपुर होकर बिजनौर आना होगा और इसी मार्ग से जाना होगा।
दिल्ली-पौड़ी नेशनल हाईवे पर गंगा बैराज पर 1985 में करोड़ों रुपये की लागत से पुल बनकर तैयार हुआ था। पुल पर बनी सड़क अब तक सही सलामत थी। शुक्रवार को पुल के बाईं ओर गेट नंबर 14 के सामने डेढ़ मीटर सड़क क्षतिग्रस्त होकर धंस गई। पुल में लगी रेत, सीमेंट आदि गिर गए हैं, जिसकी वजह से सड़क के सरिये दिखने लगे हैं। सड़क क्षतिग्रस्त होने का पता चलते ही सिंचाई विभाग के अफसरों में खलबली मच गई। सड़क का जो हिस्सा टूटा है उस पर वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। टूटे हिस्से के सामने बैरियर लगा दिए गए हैं। सड़क के टूटे हिस्से के सामने वन वे ट्रैफिक कर दिया गया है। वन वे ट्रैफिक होने से पुल पर जाम के हालात बन रहे हैं।
जिले के अलावा उत्तराखंड को दिल्ली से जोड़ने के लिए गंगा बैराज पुल ही एकमात्र जरिया है। पुल से रोजाना कई हजार वाहन गुजरते हैं। पुल के टूटने से पुलिस को भी वाहनों को निकालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। सिंचाई विभाग के अफसरों ने एनएच के अफसरों को पुल के टूटने के बारे में बता दिया है। एक दो दिन में ही पुल की मरम्मत होने की उम्मीद है।
मध्य गंगा बैराज के एक्सईएन बीएस चाहर के मुताबिक पुल के क्षतिग्रस्त होने का पता चलने पर पुल पर वन वे ट्रैफिक करा दिया गया है। पुल एनएच के अधीन आता है। एनएच के अफसरों को इस बारे में बता दिया गया है। एनएच के अधिकारियों के स्तर से ही पुल पर मरम्मत का काम होगा।
पूरे पुल की हो सकती है जांच
पुल की सड़क क्षतिग्रस्त होने से इसकी सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। एनएच विभाग इसकी मरम्मत जल्दी शुरू कराएगा। सूत्रों के मुताबिक पूरे पुल की मजबूती की भी एक बार फिर से जांच हो सकती है। देखा जाएगा कि और कहां कहां पक पुल की सड़क कमजोर हुई है। उस हिस्से की भी मरम्मत की जाएगी। बैराज पर बना पुल 34 साल पुराना है। रोजाना कई हजार वाहन पुल पर दौड़ते हैं। इसलिए पुल पर बनी सड़क का कमजोर होना लाजिमी है। कभी किसी ने पुल पर बनी सड़क को देखना गवारा नहीं किया। न ही इससे पहले कभी पुल की सड़क ऐसे धंसी है।