नारनौर गांव के पास गंगा पर पुल बनाने की शुरुआत 2008 में की गई थी। पुल बनने से हस्तिनापुर होते हुए ट्रैफिक गुजरना था। पुल के बनने से उत्तराखंड के रामनगर, काशीपुर, जसपुर, ठाकुरद्वारा, स्योहारा, नूरपुर, कालागढ़, धामपुर, चांदपुर से मेरठ की दूरी में 50 किमी, दिल्ली की दूरी करीब 35 किमी, बागपत की दूरी 50 किमी और हरियाणा के रोहतक व करनाल की दूरी करीब 50 किमी कम होनी थी। दिल्ली-लखनऊ राजमार्ग पर यदि गढ़मुक्तेश्वर में जाम लगता है तो नारनौर पुल से ट्रैफिक को डायवर्ट करके जाम से निपटा जा सकता है।
यह पुल सेंचुरी एरिया में बनाया जा रहा था। पुल बनाने से पहले सेतु निगम के अधिकारियों ने वन विभाग से परमिशन नहीं ली थी। इस वजह से करोड़ों रुपये लगने के बाद भी पुल का निर्माण बीच में ही रोक दिया गया था। खादर क्षेत्र में गंगा पर रुड़की को जोड़ने के लिए बनाए जा रहे पुल से बिजनौर से रुड़की व सहारनपुर की दूरी 50 किमी कम होनी है।
मालन नदी पर पुल बनना भी प्रस्तावित है। मालन नदी पर पुल बनने से नदी में उफान आने पर यातायात बाधित नहीं होगा। वन विभाग ने काफी लंबे समय के इंतजार के बाद इन पुलों के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया है। अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने से पुल बनने का काम जल्दी शुरू होगा।