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अब्दुल के हाथ से बनी शीशी में आता है गंगाजल
ऩगीना। महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए हरिद्वार से कांवड़िये कांवड़ में जिस कांच की शीशी में गंगाजल लेकर आते हैं उसे आज भी नगीना का अब्दुल सलाम का परिवार बनाता है।
लघु उद्योग - कभी नहीं आया इतना बुरा वक़्त
उद्योग धंधे अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। कृषि प्रधान बिजनौर जिले में भी चार हजार से अधिक उद्योग धंधे संचालित हैं। उद्योगों के महत्व को इससे समझा जा सकता है कि जैसे सरकार ने लॉकडाउन में खेती के किसी भी काम को बाधित नहीं किया उसी तरह उद्योगों को भी लॉकडाउन के दौरान खुलने की रियायत दी गई।
बिजनौर - हथकरघा, वस्त्र बुनाई और छपाई उद्योग संकट में
बिजनौर में जनपद, विशेषकर नहटौर क्षेत्र में, पुश्तैनी लघु उद्योग-धंधे प्राय: लुप्त होने के कगार पर हैं। विशेषकर हथकरघा, वस्त्र बुनाई एवं छपाई से जुड़े लोग विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। कभी अपना हुनर अफगानिस्तान तक पहुंचाने वाले कारीगरों की युवा पीढ़ी पुश्तैनी धंधे से दूर हो रही है।