इससे जूझते मनोज पारस ने आखिरकार न्यायालय में समर्पण करना ही मुनासिब समझा और उन्होंने मंगलवार को पौड़ी सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज करते हुए जेल भेज दिया है।
चार साल पहले बिजनौर में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के लक्ष्मण झूला थाना क्षेत्र में कुछ जिला पंचायत सदस्य रुके हुए थे। सपा विधायक मनोज पारस, पूर्व सांसद यशवीर ¨सह, पूर्व मंत्री मूलचंद चौहान, सपा नेता रफी सैफी सहित दस सपा नेताओं पर लक्ष्मण झूला थाने में जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया था। विधायक मनोज पारस के अलावा लगभग सभी नामजद आरोपियों ने पूर्व में ही न्यायालय में समर्पण कर दिया था। वह सभी जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं। अकेले मनोज पारस ही रह गए थे। सपा की सरकार में तो उन्हें राजनैतिक संरक्षण मिलता रहा था इसलिए पुलिस भी उन पर हाथ नहीं डाल पा रही थी। अब सपा सत्ता में नहीं है। सत्ता से बेदखली के बाद मनोज पारस पर कोर्ट से जारी हुए वारंट का भी दबाव था। उत्तराखंड पुलिस बार-बार उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही थी। गिरफ्तारी पर लिए गए स्टे की अवधि बीत चुकी थी। इसलिए कोई रास्ता न देख मनोज पारस को न्यायालय में समर्पण करना पड़ा। मंगलवार को मनोज पारस ने सीजेएम कोर्ट पौड़ी में सरेंडर कर जमानत के लिये अर्जी दी। कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज करते हुए जेल भेज दिया है।