सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्ष 2016 में नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस मेडिकल कालेज के निर्माण को करीब चार सौ करोड़ रुपये के बजट को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी थी। नजीबाबाद मेडिकल कालेज निर्माण का एलान होते ही सपाइयों में खींचतान शुरू हो गई। उस वक्त क्षेत्र के सपा नेताओं ने मेडिकल कालेज के निर्माण को कोटद्वार मार्ग स्थित बड़िया के निकट जमीन उपलब्ध कराए जाने के प्रयास शुरू कर दिए, जबकि सपा के दूसरे गुट में शामिल बिजनौर और नगीना विधानसभा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने यह कहते हुए विरोध शुरू कर दिया था, कि बड़िया के निकट मेडिकल कालेज बनने से जनपद के मरीजों को कोई फायदा नहीं होगा।
उधर, जिला प्रशासन ने आपसी खींचतान का फायदा उठाते हुए नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मकसूदनपुर हफीज के मजरा इस्लामपुर साहू में ग्राम समाज की करीब 250 बीघा जमीन चिन्हित कर रिपोर्ट शासन को भेजी, लेकिन तब नजीबाबाद के सपा के नेता इस पर राजी नहीं हुए। वहीं दूसरे गुट में शामिल लोग इस प्रस्ताव पर काफी हद तक सहमत भी हो गए थे। प्रस्तावित भूमि जनपद का एक स्थल था, जहां व्यक्ति आसानी से पहुंच सकता था। नतीजा यह निकला कि नजीबाबाद में घोषित मेडिकल कालेज सपाइयों की आपसी राजनीति की भेंट चढ़ गया। भाजपा सरकार बनने के बाद मेडिकल कालेज को लेकर एक उम्मीद जगी थी, लेकिन अभी कोई प्रगति नहीं हुई है।
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इनका कहना है
नजीबाबाद तहसील क्षेत्र के ग्राम मकसूदनपुर हफीज के मजरा इस्लामपुर साहू में मेडिकल कालेज प्रस्तावित है। मेडिकल कालेज निर्माण के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। यशवीर सिंह, सांसद नगीना