Thursday, 08 December 2016 10:45

नगीना - पांच हजार शिल्पकारों के समक्ष रोजी रोटी का संकट

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wooden money box नगीना में शीशम की लकड़ी से निर्मित हैंडीक्राफ्ट के आइटमों के निर्यात पर पाबंदी लगने से उद्यमियों और कारीगरों दोनों को झटका लगा है। इस व्यवसाय से जुड़े छोटे-बड़े इकाईयों में काम करने वाले करीब पांच हजार लोगों के समक्ष रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है।

नगीना में इस व्यवसाय से जुड़े कारोबारी मुरादाबाद से आर्डर लेकर शीशम की लकड़ियों के खूबसूरत सामानों का निर्माण करते हैं। इन सामानों पर कारीगरों की हुनर से तैयार की गई डिजाइन विदेशी लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। यही कारण है कि शीशम की लकड़ी से बैन सामानों पर पाबंदी लगने से एक साल में करीब 200 करोड़ के विदेशी मुद्रा के नुकसान होने का अनुमान है।

 

नगीना के मोहल्ला काजीसराय, लुहारीसराय और लालसराय में प्रमुख रूप से शीशम की लकड़ियों से सामान बनाया जाता है। यहां प्रमुख रूप से शीशम की लकड़ियों के ज्वैलरी बॉक्स तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा भी कई अन्य सामान भी आर्डर के आधार पर तैयार किया जाता है।

नगीना क्राफ्ट डेवलेपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष इरशाद अली मुलतानी के मुताबिक शीशम की लकड़ी देश में विदेशी मुद्रा लाने का बड़ा माध्यम है। नगीना में प्रतिवर्ष पांच हजार घन फीट शीशम की लकड़ी का आइटम बनाने में प्रयोग किया जाता है। यह लकड़ी उत्तर प्रदेश वन निगम से सरकारी रेट पर प्राप्त होती है।

इस लकड़ी के आइटमों को बनाने व समय से आर्डर पूरा करने के लिए शिल्पकारों को अग्रिम भुगतान करना पड़ता है। इसके बाद ही सप्लाई समय पर जा पाती है। उन्होंने बताया कि तीन दशक पूर्व आबनूस की लकड़ी पर हाथी दांत का इनले (भराव- सजावट) होता था।

बाद में रोजवुड पर हाथी दांत व धातु से इनले होने लगा। रोजवुड महंगी होने के कारण पिछले करीब दो दशकों से शीशम की लकड़ी का प्रयोग व इस पर धातु का इनले किया जा रहा है। शीशम की लकड़ी पर पाबंदी लगने के बाद यह कारोबार केवल नगीना ही नहीं जयपुर, जोधपुर, भरतपुर का काष्ठ कला उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित होगा।

इस संबंध में रॉयल हैंडीक्राफ्ट के प्रबंधक जुल्फकार आलम बताते हैं कि शीशम की लकड़ी का प्रयोग हैंडीक्राफ्ट में प्रतिबंधित करने से देश को प्राप्त होने वाली विदेशी मुद्रा का भारी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि जो ऑर्डर वर्तमान में तैयार किए जा रहे हैं, निर्यातकों को दे दी जाएगी।

यह है नोटिफिकेशन
कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन इंडेंजर्ड स्पिशीज (सीआईटीईएस) की जोहानसबर्ग में अक्तूबर 2016 में बैठक हुई थी। बैठक के बाद अब 29 नवंबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसमें शीशम की लकड़ी डलबर्गा प्रजाति में आने की बात कही गई है। यह भी कहा गया है कि इसे अनुसूची एक से हटाकर अनुसूची दो में लाया गया है, जो प्रतिबंधित है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अब शीशम से बने हैंडीक्राफ्ट के आयात और निर्यात पर पाबंदी रहेगी।

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